नीता शेखर,
जिंदगी के कई मायने होते हैं. कभी खट्टी कभी मीठी कभी अनबुझी पहेली, कभी रहस्यमई, जिंदगी किसको कब कहां ले जाए कोई नहीं जानता पर इतना तो तय है कि हर रास्ते से गुजर कर ही जीवन को पार कर सकते हैं.
ऐसे ही है दो दोस्तों की कहानी. धीरज और हर्ष दोनों में काफी गहरी दोस्ती थी. धीरज का नजरिया था कि जिंदगी को हंसकर जीना चाहिए. कोई भी सुख हो, दुख हो हमेशा उनका सामना करते हुए खुशी से रहना चाहिए क्योंकि हमारी जिंदगी का यह पाठ है और हर्ष का नजरिया बिल्कुल ही उल्टा था. उसका कहना था कि जिंदगी में हम कोई काम ही ऐसा क्यों करें जिससे दुःख हो, पर कोई भी चीज इंसान के बस में नहीं होती. चाहने न चाहने से कुछ नहीं होता. वही होता है जो जिंदगी चाहती है.
दोनों दोस्तों ने कहा चलो छोड़ो यह सब हम बाद में देखेंगे. जिंदगी के मायने क्या है उसके बारे में बाद में सोचेंगे. फिर दोनों अपनी-अपनी कक्षाओं में चले गए. दोनों दोस्तों में इतनी गहरी दोस्ती थी कि एक दूसरे से मिले बिना उनके दिन नहीं कटते थे, दोनों बहस भी करते थे. ऐसे ही बातों बातों में धीरज ने कहा अच्छा दोस्त एक बात बताओ अगर जिंदगी की रेस में हम कभी बिछड़ गए तो हम कैसे समझेंगे कि कौन क्या है. हर्ष ने कहा हम ऐसा करते हैं अगर हम जिंदगी की रेस में बिछड़ गए तो चाहे कहीं भी हो किसी भी रूप में हो मिलने जरूर आएंगे. धीरज ने कहा यह वक्त पर निर्भर करेगा कि कौन किस से कहां मिलता है.
फिर दोनों दोस्त कॉलेज समाप्त होने पर अपने अपने कामों में लग गए. जहां दिन रात मेहनत करके धीरज आराम से अपना और अपने परिवार का साथ निभा रहा था वहीं दूसरी तरफ हर्ष दिन पर दिन पैसे कमाने की होड़ में लग गया था उसे लगता बस रुपया पैसा. यही तो जीवन है. अगर यह हमारे पास है तो हमें किसी दुख का सामना नहीं करना पड़ेगा. वह इतना पैसा कमा लेना चाहता था कि कभी उसे एहसास ही नहीं हो कि कभी वह गरीब था.
कई साल निकल गए. इसी बीच धीरज की जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए और वह खुशी से संघर्ष करते हुए अपने जीवन की नैया को किनारे ले जा रहा था. वहीं हर्ष को पैसे कमाने की धुन में घर का होश ही नहीं रहता. बस उसे लगता पैसा ही सब कुछ है. इसी तरह से दोनों दोस्त अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गए थे. अचानक एक दिन बाजार में धीरज की मुलाकात हर्ष से हुई एक दूसरे से मिलकर काफी खुशी हुए. फिर वह हर्ष को लेकर अपने घर गया. वहां उसकी पत्नी और बच्चे से मिलकर काफी अच्छा लगा. वह उनके साथ दो-तीन घंटे बिताकर वापस आने लगा. लेकिन हां आते वक्त उसने अपने घर का पता जरूर दिया. फिर वादा ले लिया कि वह अगले हफ्ते उसके घर आएगा. फिर दोनों दोस्त विदा हो गए. इसी बीच धीरज ने सोचा हर्ष ने सही में तरक्की कर ली. बिल्कुल वैसा जैसा वह सोचता था. एक दिन वह उससे मिलने के लिए उसके घर गया. जब वह उसके घर पहुंचा तो उसने देखा कि वहां काफी सन्नाटा पसरा हुआ है. उसे समझ नहीं आ रहा था कि जो हर्ष जिंदगी की रेस में इतना आगे निकल चुका था आज उसके घर पर इतना सन्नाटा क्यों छाया हुआ था.
जैसे ही डोरबेल बजाई एक खूबसूरत सी लेडी ने दरवाजा खोला. खुद खूबसूरत तो काफी थी पर चेहरे पर उदासी छाई हुई थी. उसने हाथ जोड़कर कहा मैं हर्ष का दोस्त धीरज. फिर वह लेडी ने भी हाथ जोड़कर कहा मैं हर्ष की पत्नी. फिर उसे अंदर लेकर आई. उसे वहां बैठा कर बोली मैं भी 5 मिनट में आती हूं, इसी बीच धीरज सोच रहा था कि अभी तक उसका दोस्त मिलने क्यों नहीं आया. उसने ड्राइंग रूम में चारों तरफ नजर दौड़ाई. अचानक एक फोटो पर जाकर देखा उस पर चंदन की माला चढ़ी हुई थी. वह उसके नजदीक गया. अचानक उसके मुंह से आह निकल गई. अरे एक सप्ताह पहले ही तो हर्ष उससे मिलने आया था. वह अभी सोच रहा था कि उसकी पत्नी आ गई.
धीरज के मुंह से आवाज नहीं निकल रही थीं तभी उसकी पत्नी पत्नी ने बताया कि अभी 1 महीने पहले किसी माफिया वालों से उनकी बहस हो गई थी. उन्होंने उनको गोली मार दी. हम उन्हें अस्पताल लेकर गए लेकिन बचा नहीं पाए. इतना सुनकर धीरज सकते में आ गया, जो हमारे घर आया था वह कौन था? हर्ष ही तो था. उसकी पत्नी को बताया अभी एक हफ्ते पहले हमारे घर आया था. अब चौंकने की बारी उसकी पत्नी की थी. कैसे हो सकता? उन्हें गए हुए एक महीना हो गया. धीरज को याद आया हर्ष ने कहा था जो भी बिछडेगा जिंदगी में वह एक बार जरूर मिलने आएगा. इतना सुनते ही उसकी पत्नी चौंक गई. अब धीरज उसकी पत्नी को घर आने का न्योता देकर वापस घर आ गया.
जैसा कि हर्ष की पत्नी ने बताया कि पैसा कमाने के चक्कर में क्या गलत क्या सही सोचते ही नहीं थे. इसी बीच किसी माफिया वाले से इनकी मुलाकात हो गई थी फिर उसने गोली मार दी. अचानक धीरज को कपकपी सी हुई. इसका मतलब हमसे जो मिलने का वादा किया था वही निभाने आया था पर हर्ष जिंदगी की रेस में जीत कर भी हार गया था.