K4 स्वदेशी तकनीकि से युक्त एक परमाणु संपन्न मिसाइल है जिसे भारत सरकार के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा भारत डैनामिक्स लिमिटेड के साझा सहयोग से विकसित किया जा रहा है. यह एक SLBM (Submarine Launched Blastic Missile ) है जो K सीरीज की दूसरी मिसाइल है. इसे हमारी स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत श्रेणी के लिये बनाया जा रहा है.
यह मिसाइल लगभग 3500 किमी तक सटीक मार करने में सक्षम होगी . इस श्रेणी की पहली मिसाइल K15 सागरिका है जो वर्तमान में आईएनएस अरिहंत में लगी हुई है, जो 750 किमी तक मार करने में सक्षम है .
K 4 मिसाइल श्रेणी के विकास सम्बन्धी इतिहास का अवलोकन
K श्रेणी मिसाइल का नाम हमारे पूर्व राष्ट्रपति एवं महान वैज्ञानिक भारत के मिसाइल मैन डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम के नाम पर दिया गया है. इसके विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका है अग्नि-3 मिसाइल की .
पहले आईएनएस अरिहंत में अग्नि-3 मिसाइल को लगाने की योजना थी परन्तु इसमें बहुत सी तकनीकि समस्याओं का सामना करना पड रहा था. पनडुब्बी के लिए एक हल्की व छोटी मिसाइल चाहिये जो आसानी से फिट भी हो जाये और जिसकी मारक क्षमता भी अधिक हो.
इस श्रेणी के विकास का पथ यहीं से प्रशस्त हुआ. यह मिसाइल 12 मीटर लम्बी तथा 1.3 मी ब्यास के साथ 17 टन की है. ठोस ईधन वाले रोंकेट से चलने वाली ये मिसाइल लगभग 2 टन भार का विस्फोट ले जाने में सक्षम है. अभी इसका परीक्षण चल रहा है.
डीआरडीओ के अनुसार अब लक्ष्य इसकी अचूक मारक क्षमता हासिल करना है. इसका पहला सफल परिक्षण 24 मार्च 2014 में हुआ था. इसके अभी और कई परिक्षण हो चुके है और होने बाकी है, जिसके बाद इसे सफलतापूर्वक भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा.
अगर इसके भविष्य की बात करें तो इसमें भारत सरकार के अनुसार कुल चार मिसाइल का निर्माण होना है जिसमे से K 15 सागरिका पहले ही कमीशन हो चुकी है .
TYPE | RANGE | WEIGHT |
K 15 SGRIKA SLBM | 750KM – 1000 KM | 6-7 TON |
*K 4 SLBM | 3,500 KM | 17 TON |
**K 5 SLBM | 5,000 KM | UNSPECIFIED |
**K 6 SLBM | 6,000 KM | UNSPECIFIED |
* निर्माण पूरा हो चुका है ,परिक्षण चल रहा है .
** निर्माणाधीन है , परिक्षण बाकी है .
परीक्षण सम्बन्धी इतिहास
यदि K 4 मिसाइल के परिक्षण सम्बन्धी इतिहास की बात करें तो इसका पन्टून से परीक्षण पहले 2013 में होना था किन्तु कुछ कारणवश नहीं हो पाया . इसका पहला परिक्षण 24 मार्च 2014 को 30 मीटर की गहराई से हिन्द महासागर में विशाखापत्तनम के किनारे पर किया गया . यह परिक्षण पूर्णतया सफल रहा . इसमें मिसाइल हिन्द महासागर में लगभग 3000 किमी तक गयी . मई 2014 में इसके और परीक्षणों की घोषणा के साथ इसे नौसेना को सौप दिया गया .
31 मार्च 2106 को आईएनएस अरिहंत द्वारा विशाखापत्तनम के तट से 45 नॅाटिकल मील पर एक और सफल परिक्षण किया गया . यह परिक्षण नकली भार के साथ रणनीतिक बल कमान के अधिकारियो द्वारा किया गया जिसका संचालन DRDO ने किया . इस परिक्षण की सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि यह परिक्षण शून्य त्रुटी के साथ पूर्ण हुआ और अपने सभी मानकों पर शत प्रतिशत खरा उतरा . इसके साथ ही भारत ने वैश्विक स्तर पर पनडुब्बियो से लांच होने वाली शक्तिशाली परमाणु मिसाइल सम्पन्न देशो में अपना नाम दर्ज करवा लिया .
चीन और पकिस्तान को देखते हुए कितना सामरिक महत्व रखता है, K 4 मिसाइल?
वर्तमान समय में सिर्फ पाँच देशो के पास ही SLBM की तकनीकि है, जिनमे अमेरिका, रुस, फ्रांस, चीन, भारत और दक्षिण कोरिया है. परन्तु दक्षिण कोरिया के पास परमाणु चालित पनडुब्बी नहीं है और ना ही अधिक दूरी तक मार करने वाली मिसाइल. यदि भारत की भौगोलिक परिस्थिति का अवलोकन करें तो भारत तीन ओर से समुद्र से घिरा है. जहाँ अरब सागर में पडोसी पकिस्तान निरंतर सुरक्षा में सेंध लगाता है वही चीन हिन्द महासागर में समय – समय पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने आ ही जाता है.
यह ज्ञातव्य है कि दोनों ही देश भारत पर आक्रमण कर चुके है और आज भी निरंतर भारत की सीमाओं को इनसे खतरा बना रहता है. भारत यदि अपनी एक – एक पनडुब्बी क्रमशः अरब सागर, हिन्द महासागर, बंगाल की खाड़ी व प्रशांत महासागर में तैनात कर देता है तो इस मिसाइल की मारक क्षमता युद्ध में बहुत सामरिक लाभ दे सकती है और परमाणु चलित पनडुब्बी से लांच होने के कारण दुश्मन का इसे पकड पाना भी बहुत मुश्किल है.
चूकी परमाणु पनडुब्बी महीनों तक बिना सतह पर आये पानी में रह सकती हैं, इसलिए अरिहंत श्रेणी की परमाणु चलित पनडुब्बीयों में लगी स्वदेशी K 4 परमाणु मिसाइलें चीन और पकिस्तान के सामने हमेशा एक बहुत बड़ी बाधा बनकर खड़ी रहेंगी, और ये अपनी पूर्ण स्वदेशी तकनीकि के कारण युद्ध के समय एक बड़ा गेम चेंजर साबित होगी.
के के अवस्थी “बेढंगा”,