“इंसान जब इस धरती पर आता है तो खाली हाथ ही आता जब भी संसार से जाता है तो खाली हाथ ही जाता है!”
वह जो कुछ भी सीखता समझता है इस समाज से ग्रहण करता है जन्म से मृत्यु तक जो होता है वही उसका किया धरा होता है. इसी बीच का समय में आप क्या करते हैं वह आप पर निर्भर करता है.
अगर आप अच्छे कर्म करते हैं तो लोग आपको सालों तक याद करते हैं अगर बुरा काम करते हैं तो आपको जाने के बाद आपको कोई याद नहीं करता…
“कहते हैं जैसा कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान यह है गीता का ज्ञान, यह है गीता का ज्ञान”
ऐसे ही दो बहनों की कहानी है… कमला मौसी और विमला मौसी दोनों बहने देखने में एक समान ही थी दोनों बहने मगर स्वभाव से बिल्कुल उल्टा. जहां कमला मौसी शांत निर्मल सब को मिलाकर चलने वाली थी, वहीं विमला मौसी बहुत ही कड़ी दूसरे पर रौब झाड़ने वाली झगड़ालू किस्म की थी बच्चे तो उनसे इतना डरते थे कि उनका नाम सुनते ही भाग जाया करते थे. वहीं बच्चे कमला मौसी के पास खुशी-खुशी चले जाया करते थे. इस बात का मलाल भी विमला मौसी को बहुत था, घर में जो भी सामान, कपड़े, आता पहले उन्हें ही पसंद करने दिया जाता था वरना वह झगड़ा करके सब को परेशान कर देती.
ऐसा हुआ कि दोनों की शादी एक ही संयुक्त परिवार में हुई कमला मौसी की शादी बड़े भाई से और विमला मौसी की शादी उनके छोटे भाई से कमला मौसी सबसे से धुल मिल गई मगर विमला मौसी को तो किसी से मतलब ही नहीं था.
वह अपने आप में ही रहती थी. देखते देखते समय गुजरता जा रहा था कमला मौसी दिन भर काम में लगी रहती पर विमला मौसी सिर्फ पार्टी, क्लब, किटी पार्टी में व्यस्त थी.
उन्होंने अपने बच्चों के काम का हिस्सा भी कमला मौसी पर छोड़ दिया था. क्योंकि मौसी उनकी बड़ी बहन थी और स्वभाव से भी सीधी थी अब तो बच्चे भी कमला मौसी से ही ज्यादा जुड़ गए थे. जैसे ही विमला मौसी आती वह सहम जाया करते थे, घर परिवार में भी सभी समझते थे पर कोई कुछ बोल नहीं पाता था. वह इतना झगड़ा करती की सारे लोग सहम जाया करते थे. इसलिए कोई उनसे पंगा नहीं लेना चाहता था.
समय यूं ही गुजरता जा रहा था देखते-देखते बच्चे भी बड़े हो चले थे आज विमला मौसी के बेटे को डॉक्टर की उपाधि मिलने वाली थी. शाम को फंक्शन में जाना था सभी तैयार हो रहे थे.
सबसे ज्यादा तैयार तो विमला मौसी थी. जब स्टेज पर उनके बेटे का नाम पुकारा गया तो तो घमंड से एकदम चूर हो गई, वहीं कमला मौसी के आंखों से खुशी के आंसू निकल पड़े. जब विमला मौसी के बेटे को डॉक्टर की उपाधि दी गई, मीडिया वालों ने उनसे जानना चाहा कि आपको यहां तक पहुंचाने में किसका हाथ है. पहले तो विमला मौसी एकदम तन के बैठ गई पर उनके बेटे ने जैसे ही कमला मौसी का नाम लिया उनका पारा तो सातवें आसमान को छू गया.
उनके बेटे ने कहा कमला मौसी, मौसी ही नहीं बल्कि मेरी मां भी है उन्हीं से प्रेरणा लेकर मैं यहां तक पहुंचा हूं. इतना सुनते ही किसी से बात भी नहीं की और फंक्शन छोड़कर निकल गई, कमला मौसी उनको लेने पहुंची तो उनका भी अपमान कर दिया. फिर तो किसी की हिम्मत ही नहीं थी. उन्होंने किसी से बात भी नहीं की , रात भर वो सोचती रही सुबह-सुबह उन्होंने अपना सूचना दे दी कि अब मैं इस घर में नहीं रह सकती मुझे अलग रहना है. उनको लाख समझाया पर वह समझने वाली कहां थी. पर उनके साथ जाने के लिए उनके बच्चे तैयार नहीं थे.
उन्होंने कहा अगर आपको जाना है तो जाएं हम सब नहीं जाएंगे पर उन्होंने जब जिद ठान ली तो ठान ली. वह अपने पति के साथ ही अकेले चल पड़ी . जब वह अकेले रहने लगी तो उन्हें समझ में आया परिवार क्या होता है, बच्चे क्या होते है पर उनको इतना ज्यादा घमंड था किसी के आगे झुकना नहीं चाहती थी. एक दिन अचानक खबर मिली है की विमला मौसी को हार्ट अटैक आया है. आनन-फानन में सब अस्पताल पहुंच गए.
विमला मौसी आईसीयू में थी. 2 दिन बाद उनको आईसीयू से शिफ्ट किया गया. जब उन्होंने आंखें खोली तो देखा उनके घर के लोग बैठे हुए हैं उन्हें अपनी गलतियों का एहसास हो चला था आज उन्होंने एक सबक सीखा था कि अच्छाई का नतीजा अच्छा ही होता है.
सभी हैरान थे कि इनके में इतना परिवर्तन आया कैसे. मगर वह समझ चुकी थी जैसे पैसों की कीमत और स्वभाव की कीमत
फिर वह वह नहीं रही मदद करने वाली ऐसी मददगार बनी कि आज भी सभी उनको याद करते हैं.
हम सब बच्चे उनकी कहानियां सुनकर खूब मजे लेते हैं इस कहानी का मकसद यही है कि” जन्म से मृत्यु तक की दूरी ऐसा तय करो कि जाने के बाद भी लोग याद रखें.”