ज्योत्सना,
खूंटी: खूंटी जिले का ऐसा गांव जहां 40 प्रतिशत विधवा माताएं हैं. समय का कालचक्र ऐसा कि इस गांव की कई महिलाएं 45-50 साल की उम्र में ही विधवा हो गईं. वहीं कुछ महिलाओं के मांग का सिंदूर विवाह के आठ दस वर्ष बाद ही उजड़ गया. डेढ़ सौ परिवारों के सिल्दा गांव में आदिवासी और लोहरा समाज के लोग निवास करते हैं.
कई विधवा माताओं का विधवा पेंशन सिर्फ इस कारण रुका है कि पति की सामान्य मृत्यु का प्रमाण पत्र अब तक नहीं बन पाया. जिस कारण सरकारी योजना का लाभ विधवा माताओं तक नहीं पहुंच पा रहा है.
ऐसे उपेक्षित सिल्दा गांव में लॉकडाउन के बीच जब खूंटी व्यावसायिक संघ के सदस्य पहुंचे तो माताओं के चेहरे पर उम्मीद की एक किरण साफ दिखाई पड़ रही थी.
थोड़ी ही सही, कोई तो गांव में राशन लेकर पहुंचा, जब सिल्दा गांव में कतारबद्ध माताओं को राशन पैकेट, ओआरएस और स्कूली बच्चों को स्कूल ड्रेस व्यवसायी संघ द्वारा उपलब्ध कराए गए तो गांव की माताओं के चेहरे पर सुकून की एक लकीर स्पष्ट दिखाई पड़ रही थी. सुकून इसलिए भी की किसी ने माताओं को पहचान संबंधी कागजात दिखाने को नहीं कहा.
खूंटी जिला व्यवसायी संघ के राजकुमार जायसवाल, सुमित कुमार मिश्रा, लालू, अमित जैन, प्रदीप अग्रवाल, अमर कुमार, राजेश कुमार, मनोज जैन समेत अन्य सदस्य सिल्दा गांव के ग्रामीणों के लिए लॉक डाउन के बीच अन्नदाता बनकर पहुंचे.