दीपक
रांची: झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ दल से लेकर महागठबंधन ने पूरी ताकत झोंक दी है. सत्तारूढ़ गठबंधन दल में शामिल आजसू पार्टी अपने बड़े घटक से तिलमिलायी हुई है. इसका कारण बताया जा रहा है कि आजसू पार्टी की 26 सीटों की मांग थी. भाजपा ने पहली सूची जारी करते हुए दो-तीन सीटों की जिच को बरकरार रखा है. जिस तरह आजसू पार्टी सुप्रीमो बयानबाजी कर रहे हैं, उससे राजनीतिक हलकों में यह कहा जा रहा है कि भाजपा इसे तरजीह नहीं देगी.
जल्द उठेगा परदा
भाजपा के लोहरदगा और चंदनकियारी सीट पर प्रत्याशी की घोषणा नहीं करने के पीछे भी कई राज छिपे हुए हैं. चंदनकियारी से आजसू कैंडीडेट देना चाहती है. यहां से मंत्री अमर बाउरी विधायक हैं. भाजपा चाहती है कि अमर बाउरी को कांके के सुरक्षित सीट से लड़ाया जाये. यहां पर सीटिंग विधायक डॉ जीतू चरण राम की नैया भी डगमगा रही है. वह कईयों का आर्शीवाद तक लेने लगे हैं. वहीं लोहदरगा सीट पर आजसू पार्टी से सोमवार को नीरू शांति भगत नोमिनेशन कर रही हैं. यहां के सीटिंग एमएलए सुखदेव भगत के भाजपा में शामिल होने के बाद इस सीट को सबसे अधिक हॉट माना जा रहा था. भाजपा के करीबी सूत्रों का कहना है कि इन्हें मांडर से खड़ा कराया जायेगा. यहां पर सीटिंग एमएलए गंगोत्री कुजूर हैं, जिन्हें दुबारा टिकट दिये जाने में संशय की स्थिति बनी हुई है.
बीजेपी एक तीन से कई निशाना साधने के मूड में
यानी भाजपा आलाकमान एक तीर से कई निशाना साधने के मूड में है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि लोहरदगा और चंदनकियारी सीट यदि भाजपा छोड़ती है, तो आजसू पार्टी को काबू में रखने की रणनीति सफल होगी. भाजपा का मानना है कि पार्टी आजसू के साथ पोस्ट पोल एलायंस पर ज्यादा भरोसा कर रही है. यानी चुनाव में टकराहट साफ कर आगे का रास्ता क्लीयर किया जाये. भाजपा के साथ आजसू ने भी कॉमन एजेंडे पर काम करने की जिजीविषा छेड़ी है, ताकि मतदाता इनकी चालों का मतलब नहीं समझ सकें.
आजसू सुप्रीमो अब भाजपा के नेताओं से मिलने के बाद कह रहे हैं कि सैद्धांतिक मुद्दों के आलावा स्थानीय मुद्दों पर भी समझौता होना चाहिए. इतना ही नहीं भाजपा और आजसू पार्टी एक कॉमन एजेंडे पर काम करे, तो ज्यादा बेहतर है.