रांची: आत्मनिर्भर भारत का सपना देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मंचों से बोलते नजर आते हैं साथ ही समाज में कई उदाहरण ऐसे देखने को भी मिलता रहता हैं, जहां आत्मनिर्भर भारत की झलक दिखती है. आत्मनिर्भर भारत के मंत्र को आत्मसात कर कई लोग विकास के पथ पर आगे भी बढ़ रहे है.
बता दें कि लॉकडाउन के दौरान रांची की कुछ महिलाओं ने अचार-पापड़ आदि के निर्माण का व्यवसाय शुरू किया, जो चंद महीनों में ही अच्छा-खासा ब्रांड बन चुका है.
साल 2020 लगभग कोरोना की चपेट में समा गया. कई सेक्टरों का हाल बुरा था, रोजगार छिन गए थे. ऐसे में लोगों का हाल बेहाल था.
आपको बताते चले कि लॉकडाउन के दौरान जब घर में पैसे की किल्लत होने लगी, तो रांची की संगीता सिन्हा ने घर पर ही कुछ व्यवसाय करने की ठानी. अपने भीतर के हुनर को तराशा और मुहल्ले की कुछ महिलाओं को साथ अचार-पापड़ आदि बनाने का काम शुरू किया. पहले तो घरों और दुकानों पर जाकर इन्हें अपने सामान बेचने पड़े, लेकिन एकबार जब इनके हाथों का स्वाद लोगों की जुबान पर चढ़ा तो, खुद-ब-खुद लोग इनका पता पूछने लगे. आखिरकार, इन्हें अपने प्रोडक्ट को एक प्यारा सा नाम देना पड़ा, जो अब एक ब्रांड बन चुका है.
आत्मनिर्भर भारत से इन महिलाओं के हौसलों को काफी बल मिला है. वे कहती हैं कि स्वदेशी उत्पाद आधारित छोटे उद्योग शुरू से ही केंद्र सरकार की प्राथमिकता रही है. यही कारण है कि बजट में भी इसके लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं. महिलाएं हर क्षेत्र में अपना हुनर दिखा रही है. झारखंड की राजधानी रांची की महिलाएं भी आत्म निर्भर भारत को बल दे रही है.
ये महिलाएं विभिन्न प्रकार के अचार, मुरब्बे, बरी और पापड़ का निर्माण करती हैं. इनका काम करने का तरीका बिल्कुल देशी है और साफ-सफाई पहली शर्त. आमदनी बढ़ी तो अब इनके अरमानों को भी पंख लग गए हैं.
इन महिलाओं के बने सामानों में बेहतरीन स्वाद के साथ-साथ सेहत का खजाना भी है. कम समय में ही इन्होंने न सिर्फ अपनी अलग पहचान बनाई है. बल्कि, समाज को स्वरोजगार का एक बेहतरीन जरिया और नजरिया भी दिया है.