नीता शेखर,
जिंदगी में हमेशा जीतना ही जीत नहीं है कभी कभी हार कर भी इंसान जीत जाता है.
चारों तरफ शहनाई गूंज रही थी. सभी बारातियों के स्वागत में व्यस्त थे. आज मेयर की बेटी की शादी थी. पूरे लखनऊ में हलचल मची थी. हो भी क्यों ना इतने बड़े परिवार में शादी थी. लड़के वाले भी राज परिवार से थे. अब इंतजार था तो केवल दूल्हे का जो अब तक नहीं पहुंचा तथा सभी परेशान थे. दूल्हा अपने दोस्तों के साथ कार में आ रहा था. बराती पहुंच चुके थे पर् लड़का पहुंचा ही नहीं था. सब चिंतित हो रहे थे. तभी थोड़ी देर में दूल्हे की गाड़ी पहुंच गई.
सबके चेहरे पर रौनक आ गई थी. फिर सभी को उत्सुकता लगी जयमाला देखने की. जैसे ही शिखा स्टेज पर चढ़ी उसे कुछ अजीब सा लगा. उसने देखा लड़का कुछ डगमगा रहा था. ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था. उसके दोस्त भी स्टेज पर उल्टी सीधी हरकते कर रहे थे. शिखा को अच्छा नहीं लग रहा था. जैसे ही लड़का शिखा के बाजू में बैठा उसे बड़े जोरों की गंध आई, शिखा परेशान हो उठी. उसे लग रहा था जो लड़का अपनी शादी में ऐसी हरकत कर सकता है तो उस पर पूरी जिंदगी कैसे भरोसा किया जा सकता है. उसको एक पल को लगा कि वह भागकर नीचे चले जाए. उसने अपने मन को कठोर किया और बैठी रही. उसकी एक हरकत सभी पर बहुत भारी पड़ सकती थी.
समझ नहीं पा रही थी करे तो क्या करे. तभी उसने सोचा शादी हुई नहीं है. अभी मैं शादी को रोक सकती हूं. जैसे ही जयमाला शुरू होने वाली थी वह जोर से चिल्लाई और बोली मुझे शादी नहीं करनी है. सभी लोग अवाक रह गए, फिर उसने कहा जो लड़का अपनी शादी में भी पी कर आया हो ठीक से खड़ा नहीं हो पा रहा है उसे सहारे की जरूरत है वह अलग उसको कैसे संभालेगा. इससे बेहतर है कि मैं इस लड़के से शादी ना करुं. सब ने शिखा को समझाने की कोशिश की पर वह अपनी बात पर अडी रही. उसने ठान लिया था चाहे कुछ भी हो उससे शादी नहीं करेगी. काफी शोरगुल के बाद बारात वापस चली गई. सभी चिंतित थे अब कौन शादी करेगा पर होनी को कौन टाल सकता है.
शिखा ने कहा मैं आगे पढ़ना चाहती हूं. उसके बाद ही मैं शादी करने का सोचूंगी. मेडिकल ज्वाइन कर लिया देखते-देखते 5 साल गुजर गये. शिखा का इंटर्नशिप भी खत्म हो गया. आज शिखा का रिजल्ट निकलने वाला था, वह काफी परेशान नजर आ रही थी. आज उसके नतीजे पर उसका जीवन टिका हुआ था क्योंकि बारात वापस जाने पर शिखा से सभी काफी नाराज थे पर शिखा ने हिम्मत नहीं हारी थी.
जैसे ही रिजल्ट बताया गया शिखा खुशी के मारे चिल्ला उठी. वह पूरे यूनिवर्सिटी में टॉप आई थी. वह जल्दी-जल्दी अपने घर आई और सब घर वालों को बताया कि वह पूरे यूनिवर्सिटी में टॉप आई है तो लोगों को विश्वास ही नहीं हो रहा था ,आगे पढ़ाई करते हुए अपना मेडिकल कोर्स खत्म कर लिया.
अब उसने दिल्ली के गंगाराम हॉस्पिटल में नौकरी जॉइन कर ली थी. शिखा ने अपने आपको पूरी तरह से सेवा में समर्पित कर दिया था. आज वह बहुत खुश थी आज उसकी हार जीत में बदल गई थी. शिखा सोच रही थी जो होता है अच्छा ही होता है. उस दिन जीत कर भी हार गई थी पर आज उसे लग रहा था उसकी असली जीत हुई है.
तभी स्टेज से आवाज आई. शिखा को सुनाई दे रहा था शिखा आप कहीं भी हो स्टेज पर आ जाए आपको अपने उत्कृष्ट कामों के लिए गोल्ड मेडल दिया जा रहा है. आज उसे सही मायने में लग रहा था वह हार कर भी जीत गई है.