रांची: रांची के कांके प्रखंड के बाढ़ू गांव की महिलाएं बांस से आकर्षक कलाकृतियां बनती हैं. उनके हांथों का जादू जब बांस की तीलियों से होकर गुजरता है, तो बेजान बांसों में जान फूंक देता है और देखने वाले की नजर उस कलाकृति पर ठहर जाती है.
इनके समूह में करीब चालीस महिलायें हैं, जो कई वर्षों से इस रोजगार से जुड़ी हैं. कलाकृतियां बनाकर न सिर्फ अपनी घर-गृहस्थी को अच्छे से चला रही हैं, बल्कि समाज में अपनी एक अलग पहचान भी बनाई.
वैश्विक महामारी कोरोना ने इन्हें परेशान तो किया, लेकिन इनके हौसले को तोड़ न सका. लॉकडाउन के बुरे वक्त में इन्हें कच्चे माल और बाजार की समस्या के कारण अपना रोजगार कुछ दिनों के लिए बंद करना पड़ा. हालांकि अब सब कुछ पटरी पर आ गया है.
इन महिलाओं को अपने पेशे पर फक्र है. ये कहती हैं कि यह सही वक्त है, जब आत्मनिर्भर बनने की इच्छा रखने वाले महिला-पुरुष केंद्र सरकार की सुविधाओं का लाभ उठाकर अपने सपने को पूरा कर सकते हैं.
बांस की कलाकारी ने इन महिलाओं को एक ओर जहां स्वावलंबी बनाया, वहीं दूसरी ओर इन्हें सम्मान से जीने का सलीका भी सिखाया. आज ये महिलाएं इलाके के दूसरे लोगों के लिए नजीर बन गई हैं.