जगदम्बा प्रसाद शुक्ल,
प्रयागराज: नागपंचमी पर्व- गुड़िया के त्योहार के अवसर पर, प्रचलित मान्यता कि गुड़िया को तालाबों में फेंक, उसकी पिटाई के विरोध में एवं महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार के विरूद्ध, गुड़िया के त्योहार के मौके पर प्रगतिशील महिला संगठन की महिलाओं व युवतियों, बच्चियों ने क्षेत्र के दर्जन भर गांवों में हाथों में स्लोगन युक्त तख्तियां, झंण्डे-बैनर व गुड़िया लेकर अपनी आवाज बुलन्द की.
क्षेत्र में कई जगह महिलाओं ने रैली निकालकर तालाब पर दस्तक दी और नारे लगाए – “गुड़िया अपमान नहीं सहेगी, गुड़िया ससम्मान रहेगी”, “गुड़िया भूखी रहती है, खाना दो, 15 किलो अनाज दो, दाल दो, तेल दो”, “गुड़िया आनलाइन कैसे पढ़ेगी, स्कूल खोलो फीस भरो”, “गुड़िया के घर पैसा नहीं, लाॅकडाउन खोलो काम दो”, “गुड़िया कहे कोरोना रोको, जनता के काम चालू करो, मास्क बांटो, पुलिस हटाओ”, “गुड़िया कहे जुर्माना रोको, अंग्रेजों की चाल मत चलो”, “गुड़िया कहे स्कूल खोलो, मनुवाद पर हल्ला बोलो”, ”सैनिटाईजर बांटो, मास्क बांटो, कोरोना से डराना बन्द करो“, आदि.
इस अवसर पर चित्रकूट में पत्थर खदान में काम करने वाली आदिवासी महिलाओं व बच्चियों के यौन शेषण के सवाल पर भी आवाज बुलन्द की गई और मांग की गई कि “चित्रकूट के बलात्कारियों को, रक्षक डीएम को सजा दो”.
याद हो इस मामले का खुलासा होने के बाद डीएम चित्रकूट ने वहां जाकर उन्हीं 14 – 15 साल की लड़कियों से बयान कराया था कि उन्होंने ऐसी शिकायत नहीं की थी और कानून के खिलाफ जाकर उस बयान को साझा किया था.
इस अवसर पर कौशाम्बी के उजिहिनी, मदारीपुर व जलालपुर तथा प्रयागराज में बसवार, घूरपुर, जसरा, रेही, गड़ैया, गन्ने, अमिलिया, रेरा, आदि गांवों में कार्यक्रम आयोजित हुए.
इनमें चन्द्रावती, अक्रिति, सुनीता, ऊषा, फूलकली, सुखरानी, निर्मला, महादेवी, सुमन, रेखा, सोम, मंजु, श्याम कुमारी, वन्दना निषाद, आदि सैकड़ों महिलाओं ने भाग लिया.