रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि झारखंड में लाॅकडाउन के बाद आर्थिक गतिविधियों को धीरे-धीरे खोलने की प्रक्रिया चल रही है. उन्होंने कहा कि लाॅकडाउन से नफा-नुकसान का आकलन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस दौरान सिर्फ एमएसएमई और बड़े उद्योगों को ही नहीं हुआ नुकसान हुआ है, बल्कि सरकार को भी नुकसान पहुंचा है. उन्होंने कहा कि किस तरह से अर्थव्यवस्था आगे बढ़े इस पर सरकार चिंतित है और क्या बेहतर होगा, सरकार इस पर निर्णय लेगी.
मुख्यमंत्री ने बताया कि झारखंड से बड़ी संख्या में श्रमिक काम करने दूसरे राज्यों में जाते है, लेह लद्दाक, अंडमान समेत कई सीमावर्ती क्षेत्रों में भी काम करने जाते है, जहां कई तरह की पाबंदियां होती है और डिफेंस एरिया होने के कारण कड़े कानून होते है. उन्होंने कहा कि ऐसे क्षेत्रों में जाने वाले श्रमिकों का आंकड़ा राज्य सरकार पर होना चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर सरकार की ओर से उन्हें और उनके परिवारों को तुरंत सुविधा उपलब्ध करायी जा सके. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा अब अपने अंदर ऐसी व्यवस्थाएं स्थापित कर रही है, उसके माध्यम से ही सुरक्षित तरीके से लोगों के बाहर जाने की व्यवस्था या उपाय की जाएगी. उन्होंने कहा कि अभी बहुत सारी महिलाएं भी काम की तलाश में चली जाती है, शोषण की भी खबरें आती है, इसलिए सरकार एक व्यवस्था बनाने की कोशिश में है,ताकि सभी सुरक्षित तरीके से काम पर करने केलिए जाए.