रांची: भारत में शनि देव की दो तरह से पूजा होती है. तांत्रिक विधि से और वैदिक विधि से. तांत्रिक विधि से की जाने वाली पूजा कठोर रूप से होती है और यह केवल मंदिर में ही सम्पन्न हो सकती है.कुल मिलाकर भारत वर्ष में चार प्रमुख पीठ हैं. शनि सिग्नापुर महाराष्ट्र ,उज्जैन,पश्चिम बंगाल और दिल्ली. इनमे सर्वाधिक महत्वपूर्ण पीठ शनि सिग्नापुर है. यहां शनि देव कि स्वयंभू प्रतिमा है, जिसका विशेष विधियों से पूजन किया जाता है.
शनि देव को सूर्य पुत्र एवं कर्म फल दाता माना जाता है लेकिन साथ ही पित्र शत्रु भी शनि ग्रह के संबंध में अशुभ मार्ग और दुख कारक माना जाता है. अनुराधा नक्षत्र के स्वामी शनि देव हैं. शनि देव की पूजा दुष्प्रभावों का निवारण करने के लिए की जाती है. यदि किसी व्यक्ति पर शनि ग्रह की साढ़े – साती या ढैय्या चल रही हो तो शनिदेव की पूजा की जाती है. शनिदेव की पूजा शनि को प्रसन्न करने के लिए की जाती है.
शनिवार के दिन पीपल पर जल चढ़ाया जाता है तथा सरसों के तेल का दीपक जलाया जाता है. दरिद्रता मिटाने के लिए शनिदेव की पूजा की जाती है अगर शनि देव रुष्ट हो जाए तो सब कार्य बिगड़ने लगते हैं इसीलिए शनि की पूजा की जाती है.
अगर पूजा आराधना सही तरीके से की जाए तो शनि देव प्रसन्न होते हैं तथा अच्छा परिणाम देते हैं. शनिदेव को गंदगी बिल्कुल पसंद नहीं है. सूर्य पुत्र श्री शनिदेव मृत्यु के स्वामी है. जो समय आने पर व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों के आधार पर सजा देकर उन्हें सुधारने के लिए प्रेरित करते हैं. शनि दोषों से छुटकारा पाने व शनि कृपा के लिए शनि जयंती के दिन भगवान शनि की पूजा का विशेष महत्व है.
जिन लोगों के ऊपर हमेशा कष्ट, गरीबी, बीमारियां व धन संबंधी परेशानियां होती हैं उन्हें शनिदेव की पूजा करनी चाहिए. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वह न्यायधीश की भूमिका निभाते जिनका न्याय निष्पक्ष होता है नौ ग्रह में शनि को सबसे ताकतवर ग्रह माना जाता है.
इसीलिए उन्हें पूजा जाता है यदि पूजा अच्छे से की जाए तो अच्छे फल मिलते हैं जिस किसी की कुंडली में शनि की दशा ठीक नहीं होती है तो शनि की पूजा की जाती है और उसका बहुत लाभ मिलता है.
अगर आप शनि मंदिर नहीं जा पाते ऐसे करें पूजा.
– शनिवार को पीपल में तिल युक्त जल से अर्घ्य दें.
– शनि मंत्र का जाप करें तथा शनि की स्तुति करें.
– शनि देव के नाम पर घर के पश्चिम दिशा में सरसों का दीपक जलाएं तथा वहीं पर प्रसाद चढाएं.
– संध्या काल में गरीब, बीमार व्यक्ति को पूर्ण भोजन कराएं, भोजन में उड़द की दाल तथा काले चने जरूर शामिल करें.
– काले वस्त्र न धारण करें. केवल लाल वस्त्र धारण करके पूजा सम्पन्न करें.
– घर में कभी भी शनि देव की प्रतिमा या चित्र न लगाएं.
– केवल शनि के बीज मंत्र को लिखकर टांग सकते हैं.