रांची: आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सह झारखंड प्रभारी डॉ. अजय कुमार ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर छठी जेपीएससी परीक्षा निरस्त करने की मांग की है. साथ में उन्होंने छठी JPSC के चयन-प्रक्रिया में अनियमितता, कदाचार और भ्रष्टाचार के मामले को भी उठाया है.
पत्र के अनुसार, जिस परीक्षा के मेरिट लिस्ट बनाने के चयन प्रकिया में “लैंग्वेज न्यूट्रल “और “स्ट्रीम न्यूट्रल”होने के बुनियादी सिद्धांतों का धड़ल्ले से उल्लंघन किया गया, परीक्षा के प्रश्नपत्र के मामले में कदाचार के स्पष्ट प्रमाण हों.
जहां आरक्षण नीति का उल्लंघन किया गया हो, वहां आप यह कहकर कैसे बच सकते हैं कि उच्च न्यायालय के आदेश पालन हेतु हमने रिजल्ट निकाला है?
पिछली सरकार में गठित बाउरी कमेटी के चेयरमैन अमर बाउरी ने कहा था कि JPSC में बिचौलिया तंत्र काम करता है. उस बिचौलिये तंत्र के प्रभाव में हुई परीक्षा तथा रिजल्ट की प्रक्रिया को आपकी सरकार ने कैसे आगे बढ़ाया? क्या ये मान लिया जाए कि उस तंत्र के आगे आपकी सरकार ने भी घुटना टेक दिया है?
पत्र में पूछा गया कि अभी लॉकडाउन समाप्त नहीं हुआ और नियुक्ति पत्र देने की सरकार को क्या हड़बड़ी है? क्या इससे आपके सरकार की नियत पर सवाल खड़ा नहीं होता है? इससे यह धारणा बनती है कि आपने चुनाव के दौरान विद्यार्थियों से किये गए वादे के साथ धोखा किया, क्योंकि आपने पहले इन सारे तथ्यों को लेकर सदन में नेता प्रतिपक्ष रहते हुए आवाज भी उठाई है. आपने सड़क पर आंदोलनरत छात्रों का अनशन भी तोड़वाया था. इनको न्याय दिलाने का भरोसा भी दिलाया था.
इनके साथ न्याय करना तो दूर, उल्टे आपके सरकार द्वारा लॉकडाउन की ढ़ाल लेकर पुरानी दोषपूर्ण प्रक्रिया को आगे बढ़ाकर फाइनल रिजल्ट जारी करना विद्यर्थियों के पीठ में छूरा घोंपना है.
उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विपक्ष में रहने के दौरान इस संबंध में किये गए वादों की भी याद दिलाई है. उन्होंने लिखा कि पहली JPSC से लेकर छठी JPSC तक नौकरशाहों और नेताओं के रिश्तेदारों की बहाली होती रही है.
यह रिजल्ट भी उसी श्रृंखला की एक कड़ी है. आपकी सरकार भी झारखंड के गरीब-गुरबा माता-पिता के मेधावी बच्चे को स्पष्ट संकेत दे रही है कि वे झारखंड में अफसर बनने का ख्वाब न देखें.
उन्होंने आम आदमी पार्टी की ओर से इस पूरी प्रकरण का सख्त विरोध किया और साथ ही है निम्नलिखित मांग की है:
1. छठी JPSC असैनिक सेवा के रिजल्ट को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए.
2. सातवीं, आठवीं तथा नवीं के साथ संयुक्त रूप से छठी JPSC की भी परीक्षा ली जाए.
3. भाषा के प्रश्नपत्र को सिर्फ क्वालीफाइंग रखा जाए.
4. पूरी परीक्षा प्रक्रिया को एक वर्ष की तय अवधि के अंदर कराए जाने का “कैलेंडर”जारी किया जाए, ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके.