रांची: सभी भक्तों का दुख हरने वाले शिर्डी के साईं बाबा का चमत्कार पूरी दुनिया मानती है. साईं बाबा के दरबार में जो जाता है वह खाली हाथ नहीं लौटता. बाबा कभी किसी को दुखी देख ही नहीं सकते जिस भी भक्त ने अपनी पीड़ा उन्हें बताई, वह उस पीड़ा को हर लेते हैं. साईं बाबा ने अपना पूरा जीवन मानव कल्याण को समर्पित किया और लोगों को एक ईश्वर की अवधारणा का संदेश दिया. आज दुनिया भर में स्थापित उनके छोटे-बड़े मंदिरों में सभी धर्मों और जातियों के श्रद्धालु आते हैं और साईं बाबा आशीर्वाद देकर सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. आज साई बाबा के करोड़ों की संख्या में भक्त हैं ,और इनके भक्त किसी एक जाती-धर्म के लोग नहीं हैं. साई बाबा बहुत सरल व्यक्ति थे. उन्होंने अपने जीवन में जाति धर्म से कभी कोई मतलब नहीं रखा. वह हर इंसान को समान दृष्टि से देखते थें और समाज को भी यही शिक्षा देतें थें. वह कहते थें कि सबका मालिक एक है.
वैसे तो उनका पूजन कभी भी और किसी भी दिन किया जा सकता हैं परंतु साई बाबा के पूजन का गुरुवार के दिन सबसे अधिक महत्व माना गया हैं.
साई बाबा का मूल मंत्र रहा हैं कि सबका मालिक एक है. साई बाबा का व्रत बहुत सरल हैं, उसे कोई भी रख सकता हैं चाहें कोई बच्चा हो या बुज़ुर्ग. गुरुवार के दिन सुबह उठकर स्नान करें. इसके बाद पीला या लाल कपड़ा बिछाकर उसपर साई बाबा की मूर्ति या तस्वीर लगाएं. इसके बाद बाबा को पीले फूल या हार चढ़ाए. अगरबत्ती या दीपक जला कर साई बाबा व्रत कथा पढ़े. तत पश्चात वह उन्हें भोग अर्पण करें, प्रसाद में फल या मिठाई हो सकती हैं. व्रत के दौरान फलाहार खा सकते हैं , इसके अतिरिक्त चाय का सेवन भी कर सकते हैं. व्रत के दौरान अगर कोई परेशानी हो तो अगले गुरुवार को व्रत रख सकते हैं. शाम को व्रत खोलें और साई बाबा के मंदिर में दीपक जलाएं.
साई बाबा के व्रत नौ की संख्या में रखे जाते हैं. वृत के अंतिम दिन पांच गरीब लोगों को भोजन कराएं और उन्हें अपने सामर्थ्य के हिसाब से दान दें. इससे बाबा प्रसन्न होते हैं.