हजारीबागः हजारीबाग में रामनवमी का जुलूस बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यह जुलूस देश के तीन सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है। मुंबई के गणपति महोत्सव और पुरी की रथ यात्रा के बाद हजारीबाग के रामनवमी जुलूस में भारी भीड़ उमड़ती है।
रामनवमी पर्व को देखते हुए उपायुक्त नैंसी और पुलिस अधीक्षक अरविंद कुमार सिंह ने मिलकर शहर में फ्लैग मार्च किया। इसका मकसद था कि रामनवमी पर्व शांति और व्यवस्था के साथ संपन्न हो. सभी प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने पुलिस बल के जवानों के साथ रामनवमी के जुलूस के रास्तों पर मार्च किया। रामनवमी पर्व के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन ने अलग-अलग जगहों पर मजिस्ट्रेट, पुलिस अधिकारी और पुलिस बल के जवानों को तैनात किया है।
रामनवमी 2025 की तैयारी
पानी, मेडिकल सुविधा
जिला प्रशासन ने फ्लैग मार्च के दौरान जुलूस के रास्तों का निरीक्षण किया। उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक ने सड़क किनारे पड़ी निर्माण सामग्री, सड़कों की हालत और जुलूस के समय लगने वाले बैरिकेड, अस्थायी शौचालय, बिजली, पानी, मेडिकल, अग्निशमन और एंबुलेंस जैसी चीजों का जायजा लिया. उन्होंने संबंधित अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए।
जुलूस मार्ग की छतों पर सीसीटीवी से निगरानी
जुलूस के रास्तों के आसपास के घरों की छतों और खाली मैदानों की तस्वीरें ली जा रही हैं। ड्रोन और सीसीटीवी कैमरे से भी निगरानी की जा रही है। वहीं जिला प्रशासन की ओर से जारी दिशा निर्देशों को लाउडस्पीकर से लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। लोगों को जरूरी सावधानियों के बारे में बताया जा रहा है।
5000 से ज्यादा सुरक्षा बलों की तैनाती
इस साल प्रशासन जुलूस को शांतिपूर्ण ढंग से कराने के लिए पूरी तरह से तैयार है। रामनवमी जुलूस से ज्यादा में लाखों राम भक्त शामिल होंगे। हजारीबाग पुलिस की ओर से सुरक्षा के लिए 5000 से ज्यादा सुरक्षा बल तैनात किए जाएंगे। जुलूस के रास्तों पर निगरानी रखी जाएगी। 108 से अधिक अखाड़े अपनी झांकियां निकालेंगे। 16 किलोमीटर का रास्ता 36 घंटे में पूरा किया जाएगा।
जुलूस के लिए जिला प्रशासन की ओर से तय किया गया रास्ता
जिला प्रशासन ने जुलूस के लिए जो रास्ता तय किया है, उसके अनुसार कटकमसांडी की तरफ से आने वाले अखाड़ों को इंद्रपुरी चौक से होते हुए झंडा चौक, बड़ा अखाड़ा, जादो बाबू चौक, कानी बाजार, गवाल टोली, पंचमंदिर होते हुए जामा मस्जिद रोड पर अपनी यात्रा खत्म करनी है। इसी तरह, डिस्ट्रिक्ट मोड़ से आने वाले जुलूस को भी इंद्रपुरी चौक से होते हुए झंडा चौक, बड़ा अखाड़ा, जादो बाबू चौक, कानी बाजार, गवाल टोली, पंचमंदिर होते हुए जामा मस्जिद रोड पर यात्रा खत्म करनी है। बड़का गांव रोड की तरफ से आने वाले जुलूस को मालवीय मार्ग से होते हुए झंडा चौक पहुंचना है। फिर बड़ा अखाड़ा, जादो बाबू चौक, कानी बाजार, गवाल टोली, पंचमंदिर होते हुए जामा मस्जिद रोड पर यात्रा खत्म करनी है।
1918 में मंदिरों के भ्रमण से शुरू हुआ रामनवमी जुलूस का इतिहास
1918 ई में मंदिरों के भ्रमण से रामनवमी जुलूस का इतिहास जुड़ा है। उस साल सबसे पहले हजारीबाग में गुरु सहाय ने महावीरी झंडा निकालने की शुरुआत की थी। उन्होंने पांच दोस्तों के साथ शहर के विभिन्न मंदिरों का भ्रमण किया फिर जूलूस निकालने की परंपरा की शुरुआत की। तब उनकी टीम ने बड़ा अखाड़ा स्थित राम जानकी मंदिर में पहले पूजा अर्चना कर महाबीरी पताका लेकर गाजे-बाजे के साथ विभिन्न मंदिरों का भ्रमण किया था। गुरु सहाय और उनके दोस्त बड़ा अखाड़ा के बाद महावीरी झंडा लेकर महावीर स्थान, छोटकी ग्वालटोली, पंचमंदिर चौक, जामा मस्जिद होते सत्यनारायण मंदिर होते सरदार चौक, पुराना बस स्टैंड शिव मंदिर, बुढ़वा महादेव मंदिर और छठ तालाब सूर्य मंदिर तक जुलूस पहुंचा था। इस कारण अभी भी जुलूस मार्ग माना जाता है। गुरु सहाय उनकी मृत्यु के बाद उनके परिवार वालों और समाज के लोगों ने रामनवमी समिति का गठन किया और जुलूस निकालने की परंपरा को आगे बढ़ाया। रामनवमी समिति से जुड़े लोग तब बड़ा अखाड़ा में सब कुछ तय किया करते थे। उसके बाद नवमी और दशमी को महावीरी झंडा और जुलूस के शक्ल में हर साल राम जन्म उत्सव मनाया जाने लगा। जुलूस की परंपरा को हीरालाल महाजन, कर्मवीर, पाचू गोप, टीभर गोप जैसे राम भक्तों ने आगे बढ़ाया। तब महावीरी झंडा पारंपरिक ढोल और डफला बांसुरी के साथ निकला करते थे। 1970 में बड़ी बाजार ग्वालटोली ने सबसे पहले ताशा पार्टी लायी। उस समय से ताशा बजाने की परंपरा की शुरुआत हुई इसके बाद ताशा पार्टी की धुन पर रामनवमी जुलूस निकलने लगा। कोलकाता से ताशा पार्टी के आने की शुरुआत हो गई और रामनवमी की जुलूस का शक्ल बदलता चला गय। तब तक जुलूस में महाबीरी झंडे भी चले आ रहे थे। नवमी और दशमी का जुलूस शांतिपूर्ण तरीके से निकलता था। सात किलोमीटर के जुलूस मार्ग में हजारीबाग ही नहीं दूसरे जिले और राज्य से भी चार पांच लाख लोग की भीड़ उमड़ने लगी। 48 घंटे तक शोभायात्रा के साथ जुलूस सड़कों पर दिखने लगा और यह प्रशासन के लिए चुनौती बन गया।
हजारीबाग की रामनवमी की भारत सरकार भी कर चुकी है गुणगान
वैसे तो पूरे देश में रामनवमी का जुलूस पूरे धूमधाम से निकलता है, भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने देश के जिन विभिन्न प्रमुख पर्व त्यौहारों की जो सूची बनाई थी, उसमे हजारीबाग की रामनवमी का जिक्र भी बखूबी किया गया है. जिसमें ये वर्णन किया गया है कि हजारीबाग की रामनवमी और जुलूस की झाकियां देखने के लिए राज्य के विभिन्न जिलों के साथ पड़ोसी राज्य से भी लोग पहुंचते हैं.
केंद्र पर्यटन मंत्रालय ने भी दुनिया भर के विभिन्न राष्ट्रों को पत्र भेजकर विश्व प्रसिद्ध त्योहारों की जानकारी दी है. जिसमें रामनवमी का भी जिक्र किया गया है. इस पत्र में बताया गया है कि अगर रामनवमी का आनंद उठाना है तो झारखंड के हजारीबाग जिला आ जाएं. जब दुनिया भर में रामनवमी खत्म हो जाती है, तब हजारीबाग की रामनवमी शुरु होती है. जहां जुलूस और झांकियों का अनुपम नजारा अद्भुत होता है.
हजारीबाग से निकलने वाला रामनवमी जुलूस, अब विश्व विख्यात जुलूस के रूप में तब्दील चुका है. हजारीबाग रामनवमी को इंटरनेशनल रामनवमी के रूप में भी जाना जाने लगा है. श्रीचैत्र रामनवमी महासमिति के पूर्व अध्यक्ष अमरदीप यादव ने राज्य सरकार से हजारीबाग रामनवमी को राजकीय पर्व का दर्जा देने का मांग की है. चैत्र नवमी को निकलने वाला यह जुलूस बिना रुके दशमी और ग्यारहवीं तक अनवरत चलता रहता है. इस जुलूस हजारों की हजार संख्या में हर उम्र के लोग सम्मिलित होते हैं.
झांकिया और जूलूस होती है मनोरम
हज़ारीबाग़ में जो रामनवमी का जुलूस निकला जाता है उसका मनोरम दृश्य देखकर किसी का भी मन झूम उठता है.झांकी में प्रभु श्री राम, भाई लक्ष्मण और माता सीता को जीवंत रूप से दिखाया जाता है.वहीं ढोल नगाड़ों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है, तो वहीं प्रभु श्री राम के नारों से पूरा शहर गूंज उठता है. वहीं बजरंगबली की ध्वज से पूरा शहर पट जाता है. सभी तरफ भगवा रंग के झंडे से शहर रंग जाता है. जिसको देखकर ऐसा लगता है मानों प्रभु श्री राम धरती पर उतर आए हो और उनके स्वागत के लिए पूरा शहर पलके बिछाए स्वागत में खड़ा है.
1929 में रांची में निकला था पहला जुलूस
स्वर्गीय गुरु सहाय ठाकुर के प्रयास से 1929 में पहला जुलूस रांची में निकाला गया था. इसे देख कर अन्य जिलों में भी रामनवमी जुलूस निकाला जाने लगा समय. समय बीता तो रामनवमी जुलूस के साथ-साथ मंगल जुलूस निकालने की भी परंपरा शुरू की. इसकी भी शुरुआत हजारीबाग से होती है. इस जुलूस में हजारों हजार की संख्या में स्त्री पुरुष, बच्चे बूढ़े एक साथ नाचते गाते जुलूस को आगे बढ़ाते रहते हैं. जुलूस की झांकियां कुछ ना कुछ नए सामाजिक संदेशों भी देखने को मिला. जुलूस का संचालन जिला प्रशासन सहित श्री चैत रामनवमी महासमिति के सौ से अधिक सक्रिय कार्यकर्ता करते रहते हैं.