बिहार में नीलकंठ मिश्रा की दस माह पहले ‘हत्या’ हो चुकी थी और उसके आरोपित जमानत पर चल रहे थे, वही नीलकंठ गोरखपुर में जिंदा मिला। नीलकंठ के जिंदा मिलने की खबर से बिहार पुलिस सकते में आ गई है। यह अजीबोगरीब कहानी शुरू होती है बिहार के बांका जिले से। यहां के बेलहर थाना क्षेत्र के मनिहारी गांव निवासी कविलाल मिश्र का पुत्र नीलकंठ मिश्रा आठ साल पहले गांव के विनोद मिश्र की मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए निकला था और लापता हो गया।
10 महीने पहले नीलकंठ की मां हेमा देवी ने डीआईजी भागलपुर के सामने पेश होकर शिकायत की कि छह डिसमिल जमीन के लिए उसके पट्टीदारों ने बेटे की हत्या कर दी है। बेलहर थाने की पुलिस ने हेमा देवी की तहरीर पर एक ही परिवार के नौ लोगों पर हत्या का केस दर्ज कर आरोप तय कर दिया। सभी ने जमानत भी करा ली।
इसी बीच छह महीने पहले नीलकंठ गोरखपुर में विक्षिप्त अवस्था में स्माइल होम नामक संस्था को मिला। बीते दिसम्बर से यह संस्था उनका इलाज करा रही थी। लगातार काउंसलिंग के बाद उसने अपना नाम-पता बताया। तब संस्था के आजाद पाण्डेय ने वहां की पुलिस को जानकारी दी। नीलकंठ के जिंदा होने की खबर सुनकर बिहार पुलिस सकते में आ गई है। बेलहर थाने के सब इंस्पेक्टर राजेन्द्र चौधरी के नेतृत्व में एक टीम नीलकंठ को लेने के लिए गोरखपुर रवाना हो गई है। राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि सुबह तक वह पहुंच जाएंगे।
छह डिसमिल जमीन के लिए बन गए हत्याभियुक्त
नीलकंठ मिश्रा की हत्या में जिन्हें आरोपी बनाया गया है उनमे से एक हरेन्द्र मिश्र ने बताया नीलकंठ के बड़े भाई शम्भूनाथ, दिगम्बर और रतन मिश्रा ने साजिश के साथ उनके परिवार को फंसाया। हरेन्द्र ने कहा कि यह परिवार उनका पड़ोसी है। मकान बनवा रहे थे पर छह डिसमिल जमीन के विवाद वे मकान नहीं बनने दे रहे थे। हरेन्द्र ने बताया कि नीलकंठ की मां की तहरीर पर मेरे अलावा गोरखलाल मिश्रा, श्रवण मिश्रा, पारस मिश्रा, रोहित, मोहित, प्रकाश, चंचल के खिलाफ हत्या और शव छिपाने की धारा में केस दर्ज किया गया है।