दिल्ली: कोरोना वायरस को लेकर मौत के आंकड़ों पर उठ रहे सवालों के बीच दिल्ली सरकार ने डीडीएमए एक्ट के तहत सभी प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों को आदेश दिए हैं कि 24 घंटे के अंदर कोई मौत होती है तो उसकी पूरी डिटेल सरकार भेजनी होगी.
RML, लेडी हार्डिंग और AIIMS अस्पताल में मौत के ज्यादा आंकड़े और दिल्ली सरकार के हेल्थ बुलेटिन में कम आंकड़े दिखाए जाने पर स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि एम्स का झज्जर वाला मामला हो सकता है. क्योंकि झज्जर दिल्ली में नहीं आता है.कई अस्पतालों ने 4 मौत बता दी, लेकिन डेथ समरी नहीं भेजी. अस्पताल को डेथ समरी देना अनिवार्य है.
शनिवार को डीडीएमए एक्ट के तहत हमने सभी प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों को आदेश दिए हैं कि 24 घंटे के अंदर कोई मौत होती है तो डेथ समरी और सभी जानकारी के साथ रिपोर्ट भेजनी होगी. यह आदेश इसलिए जारी हुए क्योंकि अस्पताल डेथ समरी नहीं दे रहे थे.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि दिल्ली में मौत के आंकड़े छिपाना संभव नहीं है. सभी राज्यों में एक डेथ कमेटी होती है, वो मौत के मामलों की जांच करती है. अस्पताल को सिर्फ एक संख्या नहीं भेजनी है, पूरी डेथ समरी भेजनी होगी. अभी तक ज्यादातर अस्पतालों ने डेथ समरी नहीं भेजी है. सोमवार तक सभी डेथ समरी भेज देंगे. फिर अगले 4 से 5 दिन में इसके आधार पर पूरी रिपोर्ट तैयार करके दी जाएगी.
सवाल – जब कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं तो कंटेनमेंट जोन की संख्या कैसे घट रही है?
जवाब – ‘कंटेनमेंट जोन में काफी लोगों के टेस्ट किए गए, जो पॉजिटिव थे उनके रिश्तेदारों के टेस्ट हुए, इसलिए कंटेनमेंट जोन से ज्यादा मामले आ रहे हैं. अब कंटेनमेंट जोन को दोबारा कंटेनमेंट जोन घोषित नहीं कर सकते. इसके अलावा अस्पताल का मेडिकल स्टाफ कोरोना पॉजिटिव पाया गया तो अस्पताल को कंटेनमेंट जोन घोषित नहीं कर सकते. जिस इलाके में ज्यादा मामले आते हैं, उसे कंटेनमेंट जोन बनाया जाता है. CRPF, BSF या दिल्ली पुलिस दफ्तर को भी कंटेनमेंट जोन घोषित नहीं कर सकते हैं.’
सवाल- कितने हेल्थ वर्कर अबतक कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं?
जवाब- अबतक 400 से ज्यादा हेल्थ वर्कर प्राइवेट या सरकारी अस्पताल के पॉजिटिव पाए गए हैं. एक फाइंडिंग है कि जो कोविड डेडिकेटेड अस्पताल हैं, वहां बहुत कम लोग संक्रमित हुए हैं.
स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि जिसे मौत के बाद शक होता है तो केंद्र सरकार के प्रोटोकॉल के तहत उसे COVID मानते हुए दफना दिया जाए या जला दिया जाए. उसमें झगड़ा करने की जरूरत नहीं है. अगर 100 में से एक भी COVID था इसलिए शक के तहत मान लिया जाता है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि मौत COVID से हुई है.
उन्होंने कहा कि COVID घोषित करने की एक प्रक्रिया है. अगर लावारिस लाश मिलती है तो इसे प्रोटोकॉल के तहत अंतिम क्रियाकर्म करते हैं. जरा भी शक है तो प्रोटोकॉल फॉलो करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए.