दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक विधायक की हत्या के जुर्म में उम्र कैद की सजा भुगत रहे पूर्व सांसद डी पी यादव की जमानत याचिका पर मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो से जवाब मांगा.
इस समय देहरादून जेल में बंद पूर्व सांसद डी पी यादव मेडिकल आधार पर जमानत चाहते हैं. उन्हें देहरादून में सीबीआई की अदालत ने गाजियाबाद के दादरी इलाके से विधायक महेंद्र सिंह भाटी की हत्या में उनकी भूमिका के लिए 2015 में उम्र कैद की सजा सुनाई थी. महेंद्र सिंह भाटी को दिसंबर 1992 को दादरी रेलवे क्रासिंग पर गोली मार दी गई थी.
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने इस मामले की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुए सीबीआई को नोटिस जारी किया. पीठ ने जांच ब्यूरो से अगले सप्ताह तक इस याचिका पर जवाब मांगा है.
यादव की ओर से पेश अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने कहा कि उनके मुवक्किल को इससे पहले गाजियाबाद स्थित यशोदा सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में रीढ़ की हड्डी की सर्जरी कराने के लिए अंतरिम जमानत मिली थी और बाद में उसने न्यायालय के आदेशानुसार समर्पण कर दिया था.
उन्होंने कहा कि यादव की नई जमानत याचिका उनके आपरेशन के बाद से हो रही कुछ परेशानियों के निदान के संबंध में हैं. उन्होंने कहा कि जेल अधिकारियों ने भी एम्स में इलाज कराने का सुझाव दिया है.
पीठ ने कहा कि वह इस मामले में पहले सीबीआई को सुनना चाहेगी. पीठ ने इसके साथ ही जांच ब्यूरो को नोटिस जारी किया. शीर्ष अदालत ने 23 अक्तूबर, 2018 को यादव को समर्पण करने और देहरादून जेल में उम्र कैद की सजा की शेष अवधि गुजारने का निर्देश दिया था.
कोर्ट ने गाजियाबाद स्थित अस्पताल की मेडिकल रिपोर्ट का संज्ञान लिया था जिसमें कहा गया था कि यादव की रीढ़ की हड्डी का 19 अक्तूबर को आपरेशन किया गया था और उन्हें तीन नवंबर, 2018 तक अस्पताल से छुट्टी मिलने की संभावना है.
इससे पहले, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने डीपी यादव की जमानत याचिका 14 जून, 2018 को रद्द कर दी थी. भाटी हत्याकांड में निचली अदालत ने डी पी यादव के साथ ही पाल सिंह, करन यादव और प्रणीत भाटी को हत्या, हत्या के प्रयास और आपराधिक साजिश के अपराध में दोषी ठहराया था.