-
जनजातीय युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए गोल कार्यक्रम की शुरुआत
-
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने फेसबुक इंडिया के सहयोग से गोल के दूसरे चरण का किया उद्घाटन
नयी दिल्ली: जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि हम हमेशा भारत के आदिवासी युवाओं के एकीकृत और समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं और उन्हें न्यू इंडिया में सबके साथ कदम से कदम मिलाकर चलना है.
इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में जनजातीय मंत्रालय और फेसबुक इंडिया के साझेदारी में गोइंग ऑनलाइन एज लीडर्स, गोल के दूसरे चरण का उद्घाटन अर्जुन मुंडा ने किया.
इस अवसर पर अर्जुन मुंडा ने कहा कि इस मेंटरशिप प्रोग्राम के माध्यम से हम डिजिटल साक्षरता, जीवन कौशल और उद्यमशीलता के मुख्य क्षेत्रों में आदिवासी क्षेत्रों की युवाओं को व्यक्तिगत रूप से उचित परामर्श के लिए प्रेरित करेंगे. गांव-स्तर के जनजातीय समुदायों के युवा प्रतिनिधियों को सशक्त बनाने के लिए एक और सोच और ठोस कदम है.
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी द्वारा उत्पन्न चुनौतियों के मद्देनजर डिजिटल साक्षरता महत्वपूर्ण हो गई है. ’जीओएएल’ कार्यक्रम के माध्यम से फेसबुक के साथ हमारी साझेदारी उसी दिशा में एक कदम है.
जनजातीय युवाओं को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों के साथ व्यापार करने, बाजार तलाशने और संपर्क करने के नए तरीके सीखने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म और उपकरणों की पूर्ण क्षमता का उपयोग करने में उन्हें कुशल और सक्षम बनाना है. मुझे पूरा विश्वास है कि डिजिटल स्किलिंग और तकनीक उन्हें मुख्यधारा से जोड़ेगी, जिससे उन्हें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के भारत को 5 ट्रिलियन प्लस की अर्थव्यवस्था बनाने के विज़न में योगदान देने का अवसर मिलेगा.
डिजिटल उद्यमिता कार्यक्रम के तहत 5,000 युवा जनजातीय उद्यमियों, पेशेवरों, कारीगरों और कलाकारों को डिजिटल-कौशल का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा .
आवेदन करने के इच्छुक अभ्यर्थियों को ऑनलाइन पोर्टल हवंस पर आमंत्रित किया गया है. आवेदन, 15 मई, 2020 से 14 जुलाई, 2020 की मध्यरात्रि तक किया जा सकेगा. कौशल-विशेषज्ञ प्रशिक्षक (मेंटर) के तौर पर पंजीकरण के लिए उद्योग और शिक्षा-जगत के अग्रणी विषय-विशेषज्ञों को पोर्टल पर आमंत्रित किया गया है.
इस कार्यक्रम में अनुसूचित जनजाति के 5000 युवाओं (जिन्हें मेंटी कहा जाएगा) को विभिन्न विषयों और क्षेत्रों के विशेषज्ञों अर्थात ’मेंटरों’ के द्वारा कौशल-प्रशिक्षण प्राप्त करने का एक उत्कृष्ट अवसर मिलेगा.
प्रत्येक दो प्रशिक्षुओं (मेंटीज) के लिए एक मेंटर होगा. कार्यक्रम का उद्देश्य दूरस्थ क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के युवाओं को अपनी आकांक्षाओं, सपनों और प्रतिभा को अपने मेंटरों के साथ साझा करने के लिए डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग करने में सक्षम बनाना है.
डिजिटल रूप से सक्षम कार्यक्रम में जनजातीय युवाओं की छिपी हुई प्रतिभाओं का पता लगाने और उन्हें एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करने की परिकल्पना की गई है, जिन्हें उनके समाज के सर्वांगीण उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा.
फेसबुक ने यह कार्यक्रम 100 प्रशिक्षणार्थियों (मेंटीज़) और 25 मेंटरों के साथ फरवरी 2019 से अक्टूबर 2019 तक, निजी प्रयासों से प्रायोगिक आधार पर 5 राज्यों में चलाया था, जिसे उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली.
इस कार्यक्रम को अन्य सरकारी योजनाओं स्टैंड-अप इंडिया को एकीकृत करने का प्रयास किया जाएगा. यह प्रतिभागियों को इन सरकारी योजनाओं के तहत प्रदान किए गए अवसरों का लाभ उठाने में सक्षम बनाएगा.
आंखी दास(निदेशक, सार्वजनिक नीति, फेसबुक – भारत, दक्षिण और मध्य एशिया) ने कहा कि, “वर्तमान वैश्विक महामारी जिसे हमने देखा सबसे गंभीर स्वास्थ्य और मानवीय संकट है. इसने सामाजिक और आर्थिक जीवन के पारंपरिक तौर-तरीकों को पूरी तरह से बाधित करने के साथ-साथ गंभीर नागरिक और आर्थिक संकट पैदा कर दिया है.
हालांकि, यह एक ऐसा समय भी रहा है, जहां सामाजिक दूरी को बरकरार रखते हुए, समाज और समुदायों ने नए तरीकों से व्यापार, वाणिज्य और कौशल निर्माण के मुद्दों पर फिर से काम किया है. फेसबुक जैसी डिजिटल तकनीकों ने समुदायों को कौशल, बाजार और व्यापार से जोड़ने के इस पुनर्निर्माण के प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
इस कार्यक्रम में जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरुता,सचिव दीपक खांडेकर और जनजातीय मामलों के मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी एवं फेसबुक इंडिया के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.