रांची: लॉकडाउन फीस मामले पर सूबे की सरकार की विश्वसनीयता अधर में लटका हुआ प्रतीत होता है अगर ऐसा नहीं होता तो शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो द्वारा दिये जा रहे बयान के दावे जमीन पर उतरते हुए दिखाई दे रहे है. लेकिन उनके लगातार बयानबाजी से स्कूलों के ऊपर कोई फर्क पड़ता हुवा दिखाई नहीं दे रहा है उल्टा अभिभावक असमंजस की स्थिति में जरूर आ गए हैं.
उक्त बातें फेडरेशन ऑफ पेरेंट्स एसोसिएशन (इंडिया) के महासचिव अजय राय ने कही. उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री के बयान के बाद स्कूलों की तरफ से लगातार नोटिस के माध्यम से अभिभावकों के ऊपर दबाव बनाया जा रहा है कि वह फीस अविलंब जमा करें. आखिर ऐसे में अभिभावक करें तो क्या करें. आखिर अभिभावक कब तक धैर्य बनाए रखें यह शिक्षा मंत्री बताये?
उन्होंने कहा कि एसोसिएशन के पास पूरे राज्य के कई जिलों से अभिभावक लगातार अपनी भावनाओं और मजबूरियों से अवगत करा रहे हैं कि स्कूल फीस जमा करने का दबाव बना रहे हैं ऐसे में वो घर चलाये या फीस जमा करें, अगर फीस जमा नहीं करते है तो बच्चों को किताब नहीं दिया जा रहा है और वहीं बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई से भी वंचित किया जा रहा है. इन बातों से लगातार मंत्री के अवगत कराने के बावजूद भी वह कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण है.
कोविड-19 लॉकडाउन में हर लोग घरों में बंद है. ऐसे में प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों को उनका धंधा पानी पूरी तरह बंद है. वहीं गैर सरकारी कर्मचारियों को सैलरी के लाले पड़े हुए हैं. ऐसे में वह फीस जमा करें तो कहां से यह बड़ा प्रश्न बन गया है.
अजय ने कहा कि अगर तत्काल इस पर राज्य सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती है तो मजबूरन पैरेंट्स एसोसिएशन कोर्ट जाएगी.