रांची: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) झारखंड राज्य कमेटी के कार्यकारी सचिव प्रकाश विप्लव ने कहा है कि लॉकडाउन के दौरान राशन वितरण में कई समस्याएं सामने आयी है, इसे दूर करने की जरुरत है.
उन्होंने कहा कि झारखंड में बड़ी संख्या में प्रवासी कामगार और नागरिक वापस अपने घरों को लौट रहे है, इसलिए कोरोना जांच में तेजी लाये जाने की जरूरत है.
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर कोरोना जांच का प्रतिशत 0.12 प्रतिशत है, जबकि झारखंड में जांच दर 0.06 प्रतिशत है, अर्थात राज्य में राष्ट्रीय स्तर के औसत का 50 फीसदी ही जांच हो पा रहा है. प्रकाश विप्लव आज फेसबुक के माध्यम से संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे.
प्रकाश विप्लव ने बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रयास से रेड जोन रांची में कोरोना वायरस पर काफी हद तक काबू पाने में सफलता मिली. जबकि अभी देशभर के विभिन्न हिस्सों से प्रवासी श्रमिक अपने घर वापस लौट रहे है, ऐसे में संबंधित जिलों में भी कोरोना वायरस संक्रमण पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है.
उन्होंने भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी द्वारा संकट काल में लगातार उठाये जा रहे सवाल और मुख्यमंत्री को लिखे जा रहे पत्र को अनावश्यक करार देते हुए कहा कि अभी झारखंड को सहायता की जरूरत है. लेकिन झारखंड की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा केंद्र सरकार से सहयोग की अपील की जगह रोज एक पत्र लिखकर अपने कर्त्तव्यों का इतिश्री कर ले रहे हैं.
उन्होंने बताया कि नीति आयोग के प्रवक्ता का यह बयान आया था कि मई महीने के दूसरे सप्ताह में कोरोना संक्रमित जांच पॉजिटिव आना रूक जाएगा, लेकिन यह दावा आज हास्यास्पद साबित हुआ है.
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री को यह लिखित सुझाव दिया गया है कि संकट से निपटने के लिए सर्वदलीय कमेटी बनाये और विभिन्न संगठनों तथा श्रमिक यूनियन के सदस्यों को भी इसमें शामिल कराये. इसके अलावा यह भी सूचना मिली है कि विभिन्न जिलों के क्वारंटाइन सेंटर में आधारभूत संरचना का घोर अभाव है, पार्टी की सभी जिला इकाईयों से इस संबंध में संबंधित जिलों से रिपोर्ट मांगी गयी है और उन्हें उपायुक्त व अन्य अधिकारियों से बातचीत कर समस्या के समाधान की दिशा में पहल करने को कहा गया है.
यदि इसके बावजूद समस्या का समाधान नहीं होता है, तो प्रदेश मुख्यालय स्तर पर पार्टी के नेता मुख्य सचिव स्तर पर वार्ता कर समस्या के समाधान को लेकर पहल करेंगे. पार्टी की ओर से जिला स्तर पर सरकारी और निजी अस्पतालों में ओपीडी सेवा जल्द बहाल करने की मांग की गयी है, ताकि छोटी बीमारियों के लिए भी लोगों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े.