नई दिल्ली: कांग्रेस संकट के बीच शुक्रवार को विपक्षी दलों की वीडियो कॉफ्रेंस के जरिए बैठक हुई. यह बैठक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई.
इस बैठक में देश की बड़ी विपक्षी पार्टियों शामिल हुई. बैठक में कोरोना वायरस संकट के बीच प्रवासी श्रमिकों की स्थिति और मौजूदा संकट से निपटने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदमों और आर्थिक पैकेज पर मुख्य रूप से चर्चा हुई.
बैठक में चर्चा की शुरुआत से पहले नेताओं ने बंगाल और उड़ीसा में आए तूफान अम्फान की वजह से मारे गए लोगों की याद में मौन रखा गया.
इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सबसे पहले अपनी बात रखते हुए कहा कि सरकार लॉकडाउन के दिशा-निर्देशों को लेकर असमंजस में है और ना ही उसने इससे निकलने की कोई रणनीति तैयार की है.
संकट के इस वक्त भी सारी शक्तियां प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक सीमित हैं. सोनिया गांधी के अनुसार हममें से कई समान विचारधारा वाली पार्टियां मांग कर चुकी हैं कि गरीबों के खातों में पैसे डाले जाएं, सभी परिवारों को मुफ्त राशन दिया जाए और घर जाने वाले प्रवासी श्रमिकों को बस एवं ट्रेन की सुविधा दी जाए.
हमने यह मांग भी की थी कि कर्मचारियों एवं नियोजकों की सुरक्षा के लिए ‘वेतन सहायत कोष’ बनाया जाए. हमारी गुहार को अनसुना कर दिया गया.
इस बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि लॉकडाउन से करोड़ों लोगों को ज़बरदस्त नुक़सान हुआ है. अगर आज उनकी मदद नहीं की, उनके खातों में 7,500 रुपये नहीं डाला, अगर राशन का इंतज़ाम नहीं किया, अगर प्रवासी मज़दूरों, किसानों और छोटे उद्योगों की मदद नहीं की तो आर्थिक तबाही हो जाएगी.
बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, शिवसेना प्रमुख एवं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, सीताराम येचुरी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार, द्रमुक नेता एमके स्टालिन, राजद नेता तेजस्वी यादव, नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला समेत कई बड़े नेता शामिल हुए हैं.