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आकलन कर चुनौतियों को अवसर बनाने का प्रयास : हेमंत सोरेन
रांचीः फेम इंडिया और एशिया पोस्ट द्वारा 2020 में 50 प्रभावशाली व्यक्तियों की सर्वे रिपोर्ट में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 12वें पायदान पर हैं.
देश के 50 प्रभावशाली व्यक्तियों की इस सूची में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को पीछे छोड़ते हुए यह स्थान हासिल किया है. प्रभावशाली भारतीय में शामिल होने की सूचना मुख्यमंत्री को समाचार पत्र और मोबाईल के माध्यम से मिली.
इस संबंध में सोरेन कहते हैं कि फेम इंडिया द्वारा जो स्थान दिया गया है, उसके लिये उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं लेकिन खुशी उस वक्त होगी जब हमारा राज्य विकास के मुद्दे पर उच्चतम स्थान हासिल करेगा.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कोविड-19 को लेकर जो चुनौतियां थी उनका आकलन पूर्व में ही कर लिया गया था और चुनौतियों से कैसे निपटना है उसके लिये विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर ली गयी थी.
श्री सोरेन बताते हैं कि जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास तभी सफल हो सकता है जब आपकी नीतियों में पारदर्शिता हो और जो व्यवस्थाएं हैं उनमें बेहतर करने के प्रयास किये जायें. उन्होनें कहा कि जनता की भावनाओं का सम्मान करना हर सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिये.
अब व्यवस्था को गति देना है ताकि कोविड-19 जैसी महामारी से उबरा जा सके और इसी प्रयास में लगा हुआ हूं. उन्होनें कहा कि चुनौतियां अभी शुरू हुई हैं. खुशी इस बात की है कि झारखंड पहला राज्य है जो प्रवासी मजदूरों को बाहर से अपने प्रदेश में लाने में अव्वल रहा है.
हमारे संकल्प का यह हिस्सा है कि जो प्रवासी मजदूर हैं उन्हें फिर से काम रोजगार के लिये अन्य राज्यों में न जाना पड़े, वे अपने ही घर में रोजगार पाएं.
हेमंत सोरेन कहते हैं कि व्यवस्था के उच्चतम पद पर बैठकर अगर मजदूरों, गरीबों के लिये आप कुछ नहीं कर पाये तो ऐसे पद का क्या फायदा ? हमारी चिंता इस वक्त सबसे अधिक है और उसी के अनुरूप विकास की कार्ययोजना बनाने जा रहे हैं. सभी मजदूरों का डाटाबेस तैयार किया जा रहा है.
हेमंत सोरेन ने कहा कि आर्थिक स्तर पर तथा रोजगार स्तर पर कई गंभीर चुनौतियां हैं लेकिन यह एक अवसर भी. जिसके माध्यम से हम राज्य को आत्मनिर्भर बना सकते हैं. संघर्ष करने की जरूरत है. क्योंकि चाह से ही राह निकलती है. राज्य में संसाधनों की कमी नहीं है. यहां की प्राकृतिक संपदा एवं उपलब्ध संसाधनों का तालमेल बिठाकर विकास की जमीन तैयार की जा सकती है.