पटना: बिहार की राजनीति में बड़ा भूचाल आ सकता है. कांग्रेस नेता भरत सिंह का एक सनसनीखेज बयान सामने आया है. कांग्रेस नेता सिंह का कहना है कि पार्टी के 11 विधायक एनडीए में शामिल हो सकते हैं. कांग्रेस पार्टी में बड़े टूट का दावा किया जा रहा है. भरत सिंह के मुताबिक कांग्रेस विधायक दल नेता अजित शर्मा को भी उन 11 लोगों में शामिल बताया. इतना ही नहीं दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा भी छोड़ने वालों में शामिल होने वालों में शामिल है.
कांग्रेस नेता भरत सिंह का कहना है कि मदन मोहन झा अब अशोक चौधरी के रास्ते पर जा रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के 11 विधायकों ने पैसे देकर टिकट लिया और चुनाव जीते. साथ ही दावा किया कि ये सभी एनडीए में जल्द शामिल हो जाएंगे. भरत सिंह ने आरजेडी से कांग्रेस को अलग होने की सलाह भी दी है. बता दें कि विधानसभा चुनाव 2020 में खराब प्रदर्शन के बाद बिहार कांग्रेस में विवाद की स्थिति है. पार्टी नेताओं में आपसी मतभेद की चर्चाएं लगातार सामने आ रही हैं.
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल के पद छोड़ने की इच्छा को सहमति दे दी है. गोहिल को बिहार प्रभारी की जिम्मेदारी से मुक्त करते हुए भक्त चरण दास को यह दायित्व सौंप दिया गया है. आपको बता दें कि शक्ति सिंह गोहिल ने सोमवार को पार्टी नेतृत्व से उन्हें बिहार प्रभारी के दायित्व से मुक्त करने और कोई ‘हल्की जिम्मेदारी’ देने का आग्रह किया था. कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी बयान के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राज्यसभा सांसद शक्ति सिंह गोहिल की इच्छा को स्वीकार करते हुए उन्हें बिहार प्रभारी की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया है. उनकी जगह अब यह दायित्व भक्त चरण दास को सौंपा गया है.
खबर सामने आने के बाद जदयू भी सामने आई है और उसका कहना है कि लंबे समय से बिहार में कांग्रेस के लिए अच्छे हालात नहीं है. बिहार कांग्रेस पूरी तरह से कोमा में हैं और इसकी पुष्टि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भरत सिंह के बयान से हो गई है. शायद इस बात को शक्ति सिंह गोहिल ने भी भाप लिया था और दूसरा बहाना भरकर उन्होंने खुद को बिहार कांग्रेस अध्यक्ष के पद से खुद को मुक्त करने की इच्छा जाहिर की. दूसरों के घर में ताकझाक करने की बजाय कांग्रेस को अपनी पार्टी को बचाने की कोशिश करनी चाहिए.
बता दें कि 243 विधानसभा वाले बिहार में सरकार बनाने के लिए 122 सीटों के बहुमत की ज़रूरत है और एनडीए की 125 सीटें हैं. एनडीए में बीजेपी 74 को और जेडीयू को 43 सीटे मिली थी. जबकि महागठबंधन को 110 सीटें हासिल हुई. जिसमें से राष्ट्रीय जनता दल को 75, लेफ्ट को 16 और कांग्रेस को 19 सीटे मिली थीं. वहीं साल 2015 में आरजेडी ने 80 और बीजेपी ने 53 सीटें जीती थीं.