हम उस समाज के अंग हैं जहां हमारे आस-पास मौत का व्यापार बहुत शांति से और निर्विघ्नता से चलता है. हर नुक्कड़ पर या हर मार्केट में एक छोटी सी पान की दुकान मिल ही जाती है, जिसमें विभिन्न ब्रांड के तम्बाकू, सिगरेट और बीड़ी करीने से सजाण् जाते हैं और ये मौत का सामान स्वछंदता से बेचा जाता है.
ये छोटी-छोटी पान की दुकान में बैठे हुए दुकानदारों की रोजी-रोटी की विवशता कही जा सकती है पर क्या हम आंखें फेर सकते हैं व्यापार की उन बड़ी दुकानों से भी जो पूरे विश्व की युवा पीढ़ी को बहका कर इन मौत के उत्पादों का शिकार बना रहे हैं?
तम्बाकू इसके सेवन करने वालों के पचास प्रतिशत को बड़े आराम से मार डालता है.
तम्बाकू हर साल अस्सी लाख लोगों को खत्म कर देता है, जिसमें सत्तर लाख लोग सीधे तम्बाकू का प्रयोग करते हैं जबकि लगभग बारह लाख लोग धूम्रपान करने वालों के आस-पास रहते हैं और धुएं के प्रभाव के शिकार हो जाते हैं. विश्व के एक अरब धूम्रपान करने वालों का लगभग अस्सी प्रतिशत निम्न और मध्यम आय वाले देशों में विद्यमान है.
तम्बाकू और सिगरेट का प्रचार
युगों से तम्बाकू उद्योग युवाओं को तम्बाकू और निकोटिन उत्पादों की ओर पूर्ण संयोजित और सामरिक तरीके से आकर्षित कर रहे हैं. अपने उद्योग के लाभ और उन्नति के लिए अपनी स्वार्थपरक नीतियों द्वारा पूरे विश्व के भविष्य को कैसे दांव पर लगाया जाता है और इस घिनौने कार्य को कैसे सिद्ध किया जाता है, आइए देखें इसकी एक झलक:
- युवाओं को आकर्षित करने के लिए तंबाकू और निकोटिन उत्पादों के विभिन्न जायके: चेरी, बबल गम और कॉटन कैंडी के अंदर तम्बाकू को भरकर बेचा जा रहा है, जिनकी आड़ में स्वास्थ्य के जोखिम को छुपाने की चेष्टा की जाती है.
- आकर्षक डिजाइन के उत्पाद : मार्केट में कुछ निकोटिन और तम्बाकू के उत्पाद लाए गए हैं जो देखने में आकर्षक हैं और युवा आसानी से उन्हें प्रयोग में लाता है जैसे स्टिक या कैंडी.
- कम जोखिम वाले विकल्पों का प्रचार-प्रसार: पारंपरिक सिगरेट की जगह अन्य उत्पाद जिनके तम्बाकू रहित दावे को विज्ञान ने सिद्ध नहीं किया.
- प्रतिष्ठित/ प्रभावी लोगों और प्रसिद्ध ब्रांड द्वारा प्रतियोगिताओं का प्रायोजन: तंबाकू और निकोटिन उत्पादों की अधिकतम बिक्री हेतु प्रभावशाली और प्रतिष्ठित लोगों का और प्रसिद्ध ब्रांड्स का सहारा लिया जा रहा है.
- बच्चों की पहुंच के पास तम्बाकू उत्पादों की बिक्री की मार्केटिंग: मिठाई, स्नैक्स और सोडा वगैरह मिलने की जगह के पास तम्बाकू विक्रेताओं को दुकान खोलने के लिए प्रीमियम सुविधाएं देना जिससे बच्चे आसानी से आकर्षित हो सकें.
- विद्यालयों के पास तम्बाकू के स्टिक उपलब्ध कराना: सस्ते और आसान तरीके से छात्रों को तम्बाकू के उत्पादों की ओर चालाकी से आकर्षित करने का धूर्तता से निरंतर प्रयास किया जाता है.
- अप्रत्यक्ष रूप से तम्बाकू उत्पादों की मार्केटिंग: फ़िल्मों, टेलीविज़न और ऑनलाइन शो में अभिनेताओं द्वारा तम्बाकू उत्पादों की मार्केटिंग का छलावा देखने को मिलता है. हालांकि फिल्म शुरू होने के पहले कुछ देर तम्बाकू उत्पादों की हानि के बारे में बताकर अपने हाथ साफ रखने की चेष्टा की जाती है.
- वैधानिक चेतावनी को प्रदर्शित करने का कर्तव्य निर्वहन: यद्यपि सिगरेट और तम्बाकू उत्पादों के ऊपर स्पष्ट वैधानिक चेतावनी तम्बाकू उद्योगों द्वारा प्रदर्शित की जाती है, किंतु सुनियोजित तरीके से की गई मार्केटिंग से ये चेतावनी निष्फल ही हो जाती है.
समय आ गया है कि हम अपने परिवार, विद्यालय, बंधुओं और सह कर्मियों में इन तम्बाकू उत्पादों की हानि को खुलकर बताएं और चर्चा करें, जिससे हमारे युवा पीढ़ी के भविष्य की रक्षा हो सके. कुछ हानियां मैं यहां वर्णित कर रही हूं:
- कैंसर: सिगरेट के अंदर का विष शरीर की प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कमज़ोर करने लगता है, जिससे कि कैंसर की कोशिकाओं को शरीर के अंदर मारने की क्षमता कम होने लगती है. जब ऐसा होता है तो कैंसर कोशिकाएं निर्विघ्न रूप से शरीर में बढ़ने लगती हैं.
- तम्बाकू का विष कोशिका के डी.एन.ए. को या तो नष्ट कर देता है या परिवर्तित कर देता है. डी.एन.ए. कोशिका की निर्देशिका होती है जो कोशिका की सामान्य क्रिया और वृद्धि नियंत्रित करती है. यदि डी.एन.ए. नष्ट हो जाता है तो कोशिका अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती है और एक रसौली का रूप लेने लगती है जो कैंसर होता है.
- तम्बाकू सेवन से ये कैंसर होते हैं – रक्त कैंसर, पित्त कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा कैंसर, बृहदान्त्र और मलाशय कैंसर, ग्रासनली कैंसर, किडनी और मूत्राशय कैंसर, पेल्विक कैंसर, गले, फेंफड़े, मुंह का कैंसर, अग्नाशय, आमाशय, श्वास नली आदि का कैंसर.
- हृदय रोग: हृदय रोग की समस्याओं से होने वाली हर चार में से एक मृत्यु तम्बाकू सेवन करने वाले लोगों की होती है. धूम्रपान से चर्बी/वसा या लिपिड रक्त में बढ़ जाते हैं, एचडीएल कोलेस्ट्रॉल कम हो जाते हैं.
एचडीएल कोलेस्ट्रॉल रक्त से अतिरिक्त वसा को हटाता है और धमनियों को साफ रखने में मदद करता है. यह दिल के दौरे और स्ट्रोक जैसी दिल की बीमारियों से भी बचा सकता है. अधिक धूम्रपान रक्त को गाढ़ा बना देता है, जिससे रक्त थक्का बनकर जमने लगता है और हृदय और मस्तिष्क में इसका प्रवाह रुकने लगता है.
धूम्रपान रक्त कोशिकाओं को नष्ट करता रहता है और रक्त कोशिकाओं में वसा, कोलेस्ट्राल, कैल्शियम और अन्य तत्व जमा होने लगते हैं जिससे रक्त कोशिकाएं मोटी होकर रक्त प्रवाह का मार्ग संकरा कर देती हैं.
यदि आप धूम्रपान नहीं करते पर आपके आस-पास कोई धूम्रपान करता है तो भी आपके स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है. इस प्रकार का धुंआ भी हृदय रोग आसानी से कर देता है.
- फेफड़ों की बीमारी: क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के कारण मृत्यु प्राप्त प्रत्येक दस लोगों में से आठ धूम्रपान करते हैं. क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) उन सब रोगों से जाना जाता है, जिनमें श्वास संबंधी बीमारियां और वायु प्रवाह अवरोधन आदि आते हैं.
बचपन और किशोरावस्था में धूम्रपान करने से फेंफड़ों के विकास की गति धीमी पड़ जाती है जो कि उम्र बढ़ने के साथ सीओपीडी का रूप धारण कर लेती है. सीओपीडी की मुख्य बीमारियां हैं – वायुस्फीति (एम्फीसेमा), लंबा चलने वाला श्वसनीशोथ (क्रोनिक ब्रोंकाइटिस ) और किसी-किसी में अस्थमा.
- गर्भावस्था में प्रभाव: धूम्रपान एक स्त्री के गर्भधारण करने की संभावना को कम कर देता है. गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने से गर्भावस्था से संबंधी शरीर में जटिल समस्याएं खड़ी हो जाती हैं. धूम्रपान गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान पहुंचाता है और जन्म के बाद भी शिशु धूम्रपान के बुरे प्रभावों से वंचित नहीं रह पाता.
धूम्रपान के प्रभावों से जन्मा हुआ शिशु या तो बहुत कम वजन का पैदा होता है या कभी-कभी मृत भी पैदा होता है. धूम्रपान के प्रभाव केवल उन स्त्रियों या शिशुओं पर ही नहीं पड़ते जो स्वयं धूम्रपान करती हैं बल्कि जो गर्भवती स्त्रियांं धूम्रपान करने वालों के संपर्क में होती हैं, उन पर और उनके शिशुओं पर भी इसका समान बुरा प्रभाव पड़ता है.
- कोरोना जैसे वाइरसों के प्रभाव: धूम्रपान करने वाले कोरोना वाइरस के संक्रमण के चपेट में आसानी से आ रहे हैं क्योंकि वे सिगरेट को उंगलियों के बीच पकड़ते हैं और उनकी उंगलियों से उनके मुंह में वायरस आसानी से प्रवेश कर जाता है.
इसके अतिरिक्त धूम्रपान करने वाला व्यक्ति पहले ही कमजोर फेंफड़ों या फेंफड़े के रोगों का शिकार होता है जो कि उनमें गंभीर बीमारी के जोखिम को और बढ़ा देता है.
तम्बाकू संबंधी नुकसानों के बारे में मैंने आपको थोड़ा अवगत कराया किन्तु कहा जाता है कि ‘जब आंख खुले तब सवेरा’ तो जैसे गलत आदतों की शुरुआत किसी भी उम्र से हो सकती है, उन आदतों का सुधार भी किसी भी उम्र से हो सकता है, बस आवश्यकता है प्रबल इच्छाशक्ति और सकारात्मक ऊर्जा की. तम्बाकू सेवन की लालसा को कम करने के कुछ उपाय मैं यहां वर्णित कर रही हूं:
- विलम्ब: तम्बाकू सेवन/धूम्रपान की लालसा उठने पर सेवन करने तक अधिक से अधिक जितनी भी संभव देरी की जा सके.
- लम्बी श्वास लेना: जैसे ही तम्बाकू सेवन /धूम्रपान की लालसा जागे, कम से कम दस बार लम्बी श्वास लें और स्वयं को आराम की स्थिति में लाएं.
- जल पीना: जैसे ही तम्बाकू सेवन/धूम्रपान की लालसा जागे, जल पी लें.
- कुछ और करके ध्यान भटकाएं: जैसे नहा लें, कोई किताब पढ़ने बैठ जाएं, टहलने निकल जाएं या संगीत सुनने लग जाएं.
- स्वास्थ्य के सलाहकार: आपके आस-पास बहुत से स्वास्थ्य के सलाहकार भी उपलब्ध हैं जो आपको तम्बाकू सेवन/धूम्रपान छुड़ाने में आपकी सहायता करेंगे पर विश्वास मानिए, पहल आपको ही करनी होगी. अपने लिए नहीं, तो परिवार के लिए सोचें जिसको आप बहुत प्यार करते हैं.