नीता शेखर,
“हर पल हंसाती है जिंदगी!
कभी कभी रुलाती भी है जिंदगी।
कभी सुख की रौशनी दिखाती है जिंदगी।
कभी अंधेरों में छिप जाती है जिंदगी
पर कभी ना कभी अंधेरों के बादल से निकालकर।
खुले आसमान से रौशनी के आसमान में हमें ले जाती है जिंदगी।”
कुणाल के माता-पिता आज बहुत खुश थे. हो भी क्यों ना आज उनके बेटे का आर्मी में सिलेक्शन हो गया था. बरसों से उनकी मुराद थी उनका बेटा आर्मी ज्वाइन करे.
आज उनका सपना पूरा हो गया था. आज उसकी मेहनत का फल मिल गया था. कुणाल ने आर्मी ज्वाइन कर ली. उसकी सबसे पहले पोस्टिंग चंडीगढ़ में हुई. धीरे-धीरे जिंदगी आगे बढ़ती जा रही थी.
कुणाल के पापा इतने खुश थे कि आए दिन नाते रिश्तेदारों को बुलाकर पार्टी दिया करते थे. देखते देखते 5 साल बीत गए. पिछले साल शादी भी हो गई थी. शादी भी डॉक्टर लड़की से इसलिए की थी ताकि उसकी पोस्टिंग सीमा पर हो तो प्रेरणा को कोई तनाव ना हो और अपने पैसे में व्यस्त रहे. इसी बीच कुणाल की पोस्टिंग लद्दाख हो गई.
लद्दाख का नाम सुनकर पहले तो थोड़ा सब घबराए पर कुणाल को जाना ही था. कुणाल ने लद्दाख में अपना कैंप ज्वाइन कर लिया. इसी बीच पाकिस्तान और हिंदुस्तान के बीच सीमा पर तनाव शुरू हो गया. देखते देखते कारगिल युद्ध शुरू हो गया, कुणाल भी युद्ध में शामिल था.
युद्ध ने जोर पकड़ लिया. दोनों तरफ से सैनिक मारे जा रहे थे. कुणाल भी अपनी सेना के साथ जमकर गोलियां दाग रहा था और पाकिस्तानियों के छक्के छुड़ा रहा था. कुणाल ने लगभग सारे पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था. तभी कहीं से एक मिसाइल आकर उसके ऊपर गिरी और संभलने के पहले ही वह शहीद हो गया.
उसी दिन प्रेरणा ने बेटे को जन्म दिया. कुणाल बिना खबर सुने ही शहीद हो गया. घर में बच्चे के आने से जो खुशहाली दिख रही थी वह पल भर में बदलने वाली थी. फिर भी उन्हें बताना तो था ही. उन्होंने कुणाल के पापा को किनारे बुलाया और कहा आपसे एक बात करनी है. कुणाल के पापा को कुणाल के शहीद होने की बात बतायी. इतना सुनते ही उन्हें जोर का झटका लगा.
वह सदमे में आ गए. तभी उनके दिमाग में ख्याल और उन्होंने कहा कि किसी को कुछ मत बताना. मैं सोचता हूं कैसे बात करूं और फिर पार्टी में शामिल हो गए. धन्य है वह पिता जिसने इतनी बड़ी बात किसी को कानों कान खबर नहीं लगने दी. अगले दिन उन्होंने परिवार के सभी सदस्यों को अपने कमरे में बुलाया.
आज मैंने आपको यहां एक खबर देने के लिए बुलाया है. हमारा बेटा कुणाल सीमा पर शहीद हो गया लेकिन मेरी विनती है कोई भी आंसू नहीं बहायेगा क्योंकि वह एक वीर सिपाही था और आपके आंसुओं से वह विचलित हो जाएगा और मैं नहीं चाहता कि कोई उसका अपमान करे.
2 दिन बाद जब उसकी बॉडी को घर लाया गया तो सभी की आंखें भर आई. मां और प्रेरणा का रो रो कर बुरा हाल था. अब उसके पापा की भी सब्र का बांध टूट गया था पर उन्होंने सभी को शांत कराते हुए कहा मुझे गर्व है अपने बेटे पर जो अपने देश के लिए कुर्बान हो गया. मैं हर जन्म में कुणाल जैसा ही बेटा चाहूंगा जो अपने देश के लिए गौरव का प्रतीक बने.
इसी बीच कुणाल की पत्नी अपने छोटे से बेटे को ले आई और कुणाल के पापा से कहा, आज से आपका ही बेटा है. आप भी इसकी जिंदगी कुणाल जैसा बना दो और उनकी गोद में बेटे को डाल दिया. आखिर उन्होंने अपने पोते को गोद में उठाया और बड़े गर्व के साथ कहा कि हम इसे जरूर कुणाल जैसा बनायेंगे. अभी इसे मां की गोद की जरूरत है वक्त आने पर मैं खुद ही मांग लूंगा. आज से हम सब कुणाल के नाम पर कभी नहीं रोएंगे, क्योंकि हमारा कुणाल वापस आ गया है. उसके पापा को लग रहा था जिंदगी फिर से अंधेरों से निकलकर रौशनी में आ गई है.