नई दिल्ली: दिल्ली सरकार की एक कमिटी ने बहुत बड़ा सवाल खड़ा करदिया है की क्या केजरीवाल को दिल्ली के बहार वालो से इतनी नफरत है की वो उनका दिल्ली में इलाज भी नहीं करने देना चाहते है.
यह खुद सिल्ली सरकार के एक कमिटी के रिपोर्ट में कहा गया है. सूत्रों के मुताबिक कमेटी ने सुझाव दिया है कि कोविड-19 संकट के मद्देनजर शहर के स्वास्थ्य ढांचे का इस्तेमाल केवल राष्ट्रीय राजधानी के निवासियों के उपचार में होना चाहिए. जिसका मतलब यह हुआ कि किसी भी बाहरी व्यक्ति का इलाज दिल्ली में नहीं करने का सुझाव दिया गया है.
इससे पहले भी जब लॉक डाउन लगाया गया था उस समय भी दिल्ली सर्कार पर कई गंभीर आरोप लगे थे की केजरीवाल सरकार ने लॉक डाउन में फसे मजदूरों को खाना पानी मुहैया नहीं करवाया न ही रहने का जगह दिया था, बाद में केजरीवाल और मनीष सिसौदिया ने खुद वीडियो और ट्वीट के माध्यम से इस बात का खंडन किया था, लेकिन तबतक बहुत देर हो चुकी थी। कई मजदुर दिल्ली से पैदल अपने घरों के लिए निकल चुके थे.
शनिवार को दिल्ली में कोरोना वायरस के 1320 मामले सामने आये. इस तरह शहर में संक्रमित लोगों की संख्या 27,000 को पार कर गयी है. संक्रमण से अब तक 761 लोगों की मौत हो चुकी है.
गौर करने वाली बात है कि देश की राजधानी दिल्ली में देशभर से आकर लोग रहते हैं. लॉकडाउन में छूट के बाद भी बहुत सारे लोग अपने गृह राज्य वापस नहीं जा पाये हैं और बहुत सारे लोग परिवार के साथ किराये पर रहते हैं. अगर दिल्ली सरकार कमिटी की रिपोर्ट पर अमल करती है तो दिल्ली में रह रहे इन लोगों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो जायेगी.
इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ही कहा था कि देशभर से लोग इलाज करवाने के लिए दिल्ली आते हैं. कोरोना काल में अगर बाहर से लोग दिल्ली के अस्पताल में इलाज कराने के लिए आ गये तो दिल्लीवासियों को सुविधाएं नहीं मिल पायेंगी. इस बात को लेकर उन्होंने जनता से सुझाव भी मांगे थे. दिल्ली की सीमाओं को सात दिन के लिए सील कर दिया गया.