रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा ने लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार द्वारा प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी, जरूरतमंद परिवारों को अनाज उपलब्ध कराने और श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए चलायी जा रही कार्य योजना के लिए राज्य सरकार को बधाई देते हुए कहा कि इतने कार्यां के बाद भी कुतुबमीनार से कूदने वाले पत्रवीर आराम से घर में बैठे अपने नये कुनबके साथ पत्राचार कर रहे हैं, तो कभी डाइयटिंग का ढ़ोंग रच रहे है.
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कोरोना संकटकाल में एक साल का जश्न मनाने के बाद करोड़ों रुपये खर्च कर अपनी डिजिटल रैलियां करने पर भी कटाक्ष करते हुए सभी भारतीय इस समय जीवन के सबसे बड़े संकट से गुजर रहे है. सीमा पर चीन खड़ी है और भाजपा नेता राजनीति में मशगूल है.
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रयास से कोरोना वायरस संक्रमण के फैलाव के बाद राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बीच झारखंड में अब तक 3 करोड़ से अधिक भोजन की थालियां गरीबों और जरूरतमंदों के बीच वितरित की जा चुकी है.
इस दौरान श्रमिकों को लगातार बिना शुल्क एयरलिफ्ट और स्पेशल ट्रेनों द्वारा घर वापस लाया गया, जबकि पूरे राज्य में 8 हजार से अधिक भोजन के केंद्र चल रहे है, वहीं प्रवासी मजदूरों को 1 हजार रुपये की सहायता भी दी गयी.
झारखंड सरकार द्वारा लॉकडाउन में घर वापस लौटे प्रवासी कामगारों और राज्य में रहने वाले श्रमिकों की स्किल मैपिंग एवं कल्याण के लिए कई तरह की योजनाओं का शुभारंभ किया गया.
वहीं मनरेगा में हर रोज साढ़े छह लाख से अधिक मानव दिवस का सृजन हो रहा है. वहीं मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रतिदिन दस लाख लोगों को रोजगार देने की विस्तृत कार्य योजना बनायी गयी है.
कोरोना रिकवरी में भी झारखंड देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है. घर वापस लौटे लाखों प्रवासी श्रमिकों को सरकारी क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया, जहां राज्य में जरुरत की चीजों की कोई किल्लत नहीं हो पायी.