चंडीगढ़: धार्मिक मसले पर शिरोमणि अकाली दल के नेताओं द्वारा लोगों को गुमराह करने की कोशिशों की पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों पर प्रसाद न बांटे जाने संबंधी फैसला केंद्र सरकार का है, जिसका शिअद हिस्सा है.
हमारी सरकार ने कभी किसी धर्म के रीति-रिवाजों और प्रथाओं में हस्तक्षेप करने में विश्वास नहीं रखा. लेकिन राज्य सरकार केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों को लागू करने पर विवश है. राज्य सरकार को गुरुद्वारों या अन्य पूजा स्थलों में प्रसाद बांटने पर रोक लगाने के लिए जिम्मेदार कैसे ठहराया जा सकता है.
हरसिमरत अनुमति के लिए केंद्र से कहें
कैप्टन ने चुटकी लेते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री होने के नाते हरसिमरत कौर बादल और उनकी पार्टी ने 8 जून से धार्मिक स्थलों को फिर से खोलने संबंधी एसओपीज् जारी होने से पहले जरूरी सलाह-मशविरे किए होंगे. हरसिमरत को प्रसाद बांटने की अनुमति देने पर जोर देना चाहिए था.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने पहले ही राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह को निर्देश दिए थे कि वह गुरुद्वारों में केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की पालना करते हुए लंगर बांटने के जरूरी निर्देश जारी करें. उन्होंने कहा कि वह खुद प्रधानमंत्री को धार्मिक स्थलों पर प्रसाद बांटने की अनुमति देने के लिए पत्र लिख रहे हैं.
केंद्र और पंजाब सरकार ने लगाई है रोक
केंद्र सरकार और पंजाब ने धार्मिक स्थल खोलने की अनुमति देते हुए ये साफ निर्देश दिए थे कि वहां लंगर और प्रसाद वितरित नहीं होगा. लेकिन धर्मस्थलों के खुलने के पहले दिन ही सोमवार को पंजाब के कई गुरुद्वारों में लंगर और प्रसाद बांटा गया.
इनमें सुल्तानपुर लोधी का एतिहासिक गुरुद्वारा श्री बेर साहिब भी शामिल रहा. लंगर-प्रसाद वितरित करने पर मैनेजर जरनैल सिंह ने कहा कि गुरुद्वारा साहिब की मर्यादा के अनुसार जो देग चढ़ती है तो वह संगत में बंटती भी है.
उन्हें पंजाब सरकार के आदेश तो नहीं पता, लेकिन एसजीपीसी की ओर से उन्हें ऐसे कोई निर्देश नहीं है. इसके अलावा अमृतसर में श्री हरमंदिर साहिब, श्री फतेहगढ़ साहिब एवं ज्योति स्वरूप साहिब और लुधियाना में गुरुद्वारा श्री दुख निवारण में भी प्रसाद वितरित किया गया.