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सीबीएसई से संबद्धता प्राप्त 620 स्कूल झारखंड में
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वर्ग एक से 12वीं तक दो लाख बच्चे करते हैं अध्ययन
रांची: देश में कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन में स्कूल, कॉलेज सहित सभी शैक्षणिक संस्थाएं बंद थे. अनलॉक-1 में भी इसे बंद रखने का ही निर्णय हुआ है.
इस अवधि में विद्यार्थियों की पढ़ाई लगभग ठप रही. जूम क्लाउड मीटिंग और ऑनलाइन के माध्यम से पढ़ाई कराई जा रही है. इसमें भी कई स्कूल औपचारिकता निभा रहे हैं.
विद्यार्थियों को व्हाट्सएप ग्रुप पर या ऑनलाइन सवाल भेज रहे हैं. स्कूल बंद रहने के दौरान बच्चों की जूम क्लाउड मीटिंग हुई और अभिभावकों के 400 करोड़ रुपये डूब गये. औसतन 10 हजार रुपये विभिन्न मद में अभिभावकों से वसूले गये.
स्कूल प्रबंधन का तर्क
स्कूल प्रबंधन का कहना है कि उन्हें शिक्षक और अन्य कर्मचारियों को वेतन देना है. फीस नहीं लेंगे, तो वेतन कहां से देंगे. स्कूल के पास फीस के अलावा आय दूसरा कोई स्रोत नहीं है. ऐसे में फीस नहीं लेने पर स्कूरल में कार्यरत शिक्षक और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों को वेतन देना मुश्किल होगा.
मीटिंग में तय हुआ
स्कूंल प्रबंधन का कहना है कि शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो और अभिभावकों के साथ हुई बैठक में फीस लेने पर सहमति बनी है. इसमें तय हुआ कि अभिभावकों को लॉकडाउन की अवधि की भी ट्यूशन फीस देनी होगी.
ऑनलाइन कक्षा संचालन करने वाले ही ट्यूशन फीस लेंगे. स्कूल के प्राचार्यों का कहना है कि अगर कोई अभिभावक परेशानी के कारण फीस जमा नहीं करते हैं, तो उनसे विलंब चार्ज नहीं लिया जायेगा.
सहायता करते हैं
कई स्कूल के प्राचार्यों का कहना है कि अभिभावकों की परेशानी वे समझते हैं. अभिभावकों द्वारा उनसे आकर परेशानी बताने पर वे सहायता करते हैं. अभिभावकों को फीस देर से जमा करने की छूट दते हैं. कई अभिभावकों को सुविधा के अनुसार फीस जमा करने की इजाजत देते हैं.
हर तरह का चार्ज लिया
कई निजी स्कूल ने बीते दो महीने की अवधि का सभी तरह का चार्ज वसूल लिया है. इसमें स्कूल ट्यूशन फीस, बिल्डिंग फंड, लाइब्रेरी फी, गेम्स, ग्रेच्युटी फंड, ऑउट रिच, एम मीडिया, एसएमएस, मेडिकल, स्कूल फंड, फीस बुक, मैगजीन फीस व बस फीस, टेक्नोलॉजी फीस, एसाइनमेंट फीस, मेंटेनेंस फीस, एग्जाम फीस, सिलेबस, कोड, डायरी फीस और ऑनलाइन चार्ज के एवज में फीस ले रहे हैं.
फीस के बिना किताब नहीं दिया
स्कूल प्रबंधन ने अभिभावकों की मजबूरी का फायदा उठाया. लॉकडाउन में स्कूल बंद होने की वजह से नई किताबें नहीं मिल पाई थी. इसका फायदा स्कूल प्रबंधन ने उठाया.
बिना फीस जमा किये किताब नहीं दिया. इसकी वजह से अभिभावकों के समक्ष फीस जमा करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा. कई स्कूल बस फीस में अभिभावकों को राहत दिया. उनसे बस का फीस नहीं लिया.
पोर्टल फीस भी वसूला
कई स्कूलों ने अभिभावकों से पोर्टल का फीस भी वसूला. टयूशन शुल्क के अलावा मेंटेनेंस, एनुअल, डेवलपमेंट व स्मार्ट क्लास शुल्क भी उनसे लिया गया.