रांची : झारखंड में राज्यसभा की दो सीटों के लिए आगामी 19जून को चुनाव होने वाला है. इस बीच भारत निर्वाचन आयोग के एक फैसले पर भाजपा और कांग्रेस नेता आमने-सामने हो गये है. झारखंड विकास मोर्चा के विलय के बाद उत्पन्न स्थिति को लेकर भारत निर्वाचन आयोग के फैसले का भाजपा ने स्वागत किया है, वहीं कांग्रेस ने कहा है कि संवैधानिक प्रावधान के अनुसार विधायकों की सदस्यता पर निर्णय विधानसभा अध्यक्ष का होता है और यह मसला विधानसभा की प्रोपर्टी है.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा चुनाव के लिए पार्टी प्रत्याशी दीपक प्रकाश ने चुनाव आयोग द्वारा लिये गये उस निर्णय का स्वागत किया है, जिसमें बाबूलाल मरांडी को भाजपा विधायक के रूप में मान्यता प्रदान की है. दीपक प्रकाश ने कहा कि झाविमो विधायक दल और झाविमो का भाजपा में विधिवत विलय हुआ है, जिसकी पुष्टि चुनाव आयोग ने इसके पूर्व भी किया है तथा विधान सभा अध्यक्ष को विधिवत सूचना भी दी है.
प्रकाश ने कहा कि भाजपा ने भी झाविमो के विलय और पार्टी द्वारा बाबूलाल मरांडी को नेता विधायकदल चुनकर विधानसभा अध्यक्ष को सूचित करते हुए नेता प्रतिपक्ष की मान्यता प्रदान करने का आग्रह किया है। विधानसभा अध्यक्ष को अब इस संबंध में विलंब नही करना चाहिये.
इधर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और राज्य के वित्तमंत्री डाॅ. रामेश्वर उरांव ने राज्यसभा चुनाव और भारत निर्वाचन आयोग द्वारा झाविमो के दो विधायकों को लेकर दी गयी जानकारी के संबंध में पूछे गये एक प्रश्न के उत्तर में बताया कि यह कानूनी मसला है. डाॅ. उरांव ने आज रांची में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि उनकी समझ के अनुसार विधायकों की सदस्यता का मामला विधानसभा की प्रोपर्टी है, संविधान के अनुसार ऐसे मामलों में विधानसभा अध्यक्ष को ही फैसला लेने का अधिकार है.