शशिभूषण दूबे कंचनीय,
UP(लखनऊ): मुख्यमंत्री ने किया बाल श्रमिक विद्या योजना का लोकार्पण किया और बच्चों के अभिभावक बन गये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. और बच्चों से कहा, खूब मेहनत से पढ़ो, बड़ा आदमी बनो. सरकार पढ़ाई का सारा खर्च उठाने के साथ घर वालों को भी सारी सुविधाएं देगी. मां को या जिसके साथ रह रहे हो उसे परेशान न करना. ये वह बच्चे थे जो हालात के कारण पढ़ाई करने के बजाय बाल श्रमिक बनने को मजबूर हैं. इनमें से किसी के पिता नहीं हैं, तो किसी की मां. कुछ के तो दोनों नहीं हैं. वे अपनी दादी, बुआ या रिश्तेदार के साथ रहते हैं.
अवसर था अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस पर बाल श्रमिक विद्या योजना (कंडीशनल कैश ट्रांसफर) के लोकार्पण का. अपने आवास पर योजना का लोकार्पण करने के साथ मुख्यमंत्री ने गोंडा की मधु, बलरामपुर के अजय कुमार मौर्य, विनोद, कानपुर की लक्ष्मी, नेंसी लखनऊ के रेहान और सना, सोनभद्र की चांदनी, प्रीति और गौतम से बात भी की.
श्रमिकों का हित हमारा फर्ज
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रमिक स्वाभिमानी होते हैं. हर विकास की बुनियाद में इनका ही खून-पसीना शामिल है. ऐसे में इनकी बेहतरी हमारा फर्ज है. उज्जवला, उजाला, प्रधानमंत्री आवास, आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं इस तबके को केंद्र में ही रखकर बनाई गई हैं. हालात से मजबूर इस वर्ग के कुछ बच्चे परिवार की आय बढ़ाने के लिए पढ़ाई के उम्र में काम करने को विवश हैं.
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि बाल श्रमिक विद्याधन योजना ऐसे ही बच्चों के लिए बनी है. पहले चरण में 57 जिले के 2000 बच्चों को इससे लाभान्वित किया जा रहा है. अगले शैक्षणिक सत्र से श्रमिकों के बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दिलाने के लिए हमारे अटल आवासीय विद्यालय भी बन कर तैयार हो जाएंगे. इन स्कूलों में पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को उनकी रुचि और क्षमता के अनुसार विकास करने का भी पूरा मौका मिलेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना से लाभान्वित होने वाले बच्चों के परिवार वालों को भी केंद्र और प्रदेश सरकार की सभी योजनाओं से संतृप्त किया जाएगा.
क्या है योजना
योजना के तहत चयनित बालकों और बालिकाओं को सरकार हर माह क्रमश: 1000 और 1200 रुपये देगी. यदि ये बच्चे कक्षा 8, 9 और 10 पास करते हैं तो इनको हर कक्षा के पास करने पर 6000 रुपये की अतिरिक्त राशि सालाना मिलेगी.
पात्रता
योजना के पात्र 8 से 18 वर्ष के वे काम-काजी बच्चे या बच्चियां होंगी जो संगठित या असंगठित क्षेत्र में परिवार के विषम हालात की वजह से परिवार की आय के लिए काम करते हों. ऐसे परिवार जिनके माता या पिता या दोनों की मौत हो चुकी हो. माता या पिता दोनों स्थायी रूप से दिव्यांग हों. महिला या माता परिवार की मुखिया हो. दोनों को असाध्य रोग हो या भूमिहीन हों.