रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा है कि मन की बात कहने वाले को जन की पीढ़ा से कोई लेना-देना नहीं है.
कोरोना संकट में 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा के बावजूद आम जन तक इसका कोई लाभ नहीं पहुंचा है, वहीं अब पेट्रोल-डीजल की कीमत में लगातार हो रही वृद्धि ने भारतीय अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है, साथ ही जनता पर भी अतिरिक्त बोझ लादने का काम किया गया है.
उन्होंने पिछले दस दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमत में लगातार बढ़ोत्तरी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कई महीनों से कच्चे तेल की कीमत में लगातार गिरावट हो रही है, इसके बावजूद दस दिनों में पेट्रोल की कीमत में करीब चार रुपये से अधिक और डीजल की कीमत में प्रति लीटर छह रुपये से अधिक की बढ़ोत्तरी कोरोना संकट में जनता के साथ अन्याय है.
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण कच्चे तेल की कीमतों में एक सप्ताह में सात प्रतिशत से अधिक की गिरावट आ चुकी है. पिछले सात दिनों में क्रूड ऑयल की कीमत 41.07 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 39.04डॉल प्रति डॉउल पर आ गयी है, लेकिन इन्हीं सात दिनों में देश में लगातार पेट्रोल-डीजल की कीमत में बढ़ोत्तरी की गयी है.
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता ने कहा कि 36 रुपये के पेट्रेल को 75 रुपये में क्यों बेचा जा रहा है. जबकि कोरोना संकट काल में कच्चे तेल की कीमत में तीन फीसदी की गिरावट गयी है.
वहीं 6 मई 2020 को केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 10 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर उत्पाद शुल्क 13 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिया गया. उत्पाद शुल्क में बढ़ोत्तरी और प्रतिदिन पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की घटी कीमतों का देशवासियों को कोई फायदा नहीं मिल पाया.
पिछले अप्रैल महीने में कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल 18.10 डॉलर के निम्न स्तर पर पहुंच गयी थी, इसके बाद कीमतों में थोड़ी वृद्धि हुई और यह 28 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गयी.
वहीं राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियों के थमने और आवागमन बंद रहने के कारण इंधन की मांग में करीब 70 प्रतिशत गिरावट रही, इसके बावजूद आम जनता को कोई राहत नहीं मिली है.
आलोक कुमार दूबे ने कहा कि 2013 में अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमत 109 डॉलर प्रति बैरल थी, तब 71 रुपये प्रति लीटर ग्राहकों को पेट्रोल मिला करती थी.
इस लॉकडाउन में कच्चे तेल कीमतों में रिकॉर्ड ऐतिहासिक गिरावट अमेरिका में कच्चे तेल की कीमतों में देखने को मिली, जहां बोतलबंद पानी से कम यानी 77 पैसे प्रति लीटर पेट्रोल हो गयी. अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी वेस्ट टेक्सास में कच्चे तेल का भाव गिरते-गिरते लगभग शून्य तक पहुंच गया.
उन्होंने बताया कि जब यूपीए शासनकाल में क्रूड ऑयल प्रति बैरल 107 रुपये था, उस वक्त देश में 71 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल और 55.49पैसे प्रति लीटर डीजल मिल रही थी.
यूपीए के शासनकाल में तब 9.20 रुपये पेट्रोल पर और 3.46 रुपये प्रति लीटर डीजल पर उत्पाद शुल्क लगाया गया था, लेकिन आज एनडीए शासनकाल में जब 40 बैरल प्रति डॉलर क्रूड ऑयल है, तो देश में पेट्रोल की कीमत 76.26 रुपये और डीजल प्रति रुपये 74.62 रुपये प्रति लीटर हो गयी है.
आज पेट्रोल पर प्रति लीटर 32.98 रुपये और डीजल पर 31.83 रुपये उत्पाद शुल्क की वसूली हो रही है. यानी डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में 819 प्रतिशत और पेट्रोल पर 258प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है.