नई दिल्ली: भारत अब कोरोना वायरस के मामलों को देखते हुए पूरे देश में कोविड-19 रैपिड जांच को बढ़ाने जा रहा है. सरकार ट्रैक (पता लगाना), ट्रेस (ढूंढ़ना) और ट्रीट (उपचार करना) वाले फॉर्मूला का प्रयोग करते हुए जांच का दायर बढ़ाएगी, ताकि देश में इस वायरस के फैलाव पर रोक लगाई जा सके.
गौरतलब है कि, बुधवार को देश में पिछले 24 घंटे में कोविड-19 से मृतकों की संख्या पहली बार 2000 के पार पहुंच गई. इससे पहले तक, हर दिन 200 से 300 के बीच ही मरीज इस वायरस से अपनी जान गंवा रहे थे.
अभी तक सरकार का मुख्य ध्यान मृत्यु दर को कम करने पर था, लेकिन मामलों में जिस तरह बढ़ोतरी हो रही है, उसे देखकर सरकार ने यह निर्णय लिया है कि वह देश में हर एक संक्रमित मरीज की पहचान करेगी. साथ ही यह सुनिश्चित करने जा रही है कि देश में कोई भी गंभीर मरीज इलाज से वंचित न रह जाए.
जांच के लिए, देशभर के राज्यों में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा बताए गए एंटीजन-आधारित रैपिट टेस्ट का प्रयोग किया जाएगा. विशेष रूप से इस टेस्ट का इस्तेमाल कंटेनमेंट जोन, हॉटस्पॉट और अस्पतालों में किया जाएगा.
स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन को लिखे एक पत्र में आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने कहा कि कोविड-19 से हमारी लड़ाई में जांच करना हमारी आधारशिला रही और इसलिए परीक्षण को बढ़ाना कोविड-19 के सभी मामलों को ट्रैक, ट्रेस और ट्रीट करने के लिए अनिवार्य रूप से महत्वपूर्ण है.
एंटीजन आधारित जांच की शुरुआत दिल्ली में की जाएगी, जहां पिछले कुछ सप्ताह से हर रोज औसतन 50 लोगों की कोरोना वायरस से मौत हो रही है.
नाम न छापने की शर्त पर आईसीएमआर के एक अधिकारी ने बताया कि इस बीमारी को काबू करने का एकमात्र तरीका बड़े पैमाने पर जांच करना है। सभी राज्यों को अपनी जांच क्षमता बढ़ानी चाहिए, क्योंकि जितना आप जांच करेंगे, उतनी ही संख्या में अधिक लोगों को सही समय पर इलाज किया जा सकेगा.
उन्होंने बताया कि सभी को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है, लेकिन फिर भी हमें ऐसे लोगों की पहचान करना जरूरी है, ताकि उनका जीवन बचाया जा सके. इस कार्य के लिए केवल एक ही रास्ता है और वह है जांच.
अधिकारी ने बताया कि राज्यों को एंटीजन आधारित परीक्षण करने की सलाह दी गई है क्योंकि यह बहुत कम समय में एक बड़ी आबादी को कवर करने में सक्षम होगा जो हमें त्वरित परिणाम देगा और तदनुसार रणनीतियों को संशोधित करेगा.