रांची : झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दुबे ने कहा है कि देश की आजादी के वक्त अंग्रेजी शासन की पिछल्गू रहे जनसंघ-भाजपा के नेता पार्टी को शहादत को मतलब न सिखायें, देश के लिए कुर्बानी की नसीहत न दें. धर्मेन्द्र प्रधान द्वारा राहुल गांधी को लेकर की गयी टिप्पणी पर सख्त नाराजगी व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि जिसने मातृभूमि और देशसेवा के समर्पित परिवार के दो-दो सदस्यों की शहादत को देखा है, जिसने अपने पिता और दादी की शहादत को देखा है, जिस परिवार का देश के निर्माण में अहम भूमिका रही है, उसे यह पूछने का पूरा अधिकार है कि भारतीय सैनिकों को निहत्थे क्यों सीमा पर भेज दिया गया.
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता ने कहा कि देश की आजादी के बाद 70 वर्षां बाद तक दस बार भारत के प्रधानमंत्री चीन का दौरा करते है, लेकिन नरेंद्र मोदी ने अब तक 11 बार चीन का दौरा कर लिया है, छह बार गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान पांच बार प्रधानमंत्री रहने के दौरान चीन का दौरा किया, फिर भी वे यह जवाब नहीं दे पा रहे है कि आज भारत-चीन पर पर तनाव की स्थिति क्यों उत्पन्न हुई है. उन्होंने कहा कि देश मौजूदा संकट के लिए प्रधानमंत्री से सवाल पूछ रहा है, लेकिन भाजपा नेता छह वर्षां तक केंद्र में सत्ता रहने पर पं. नेहरू से और राहुल गांधी से सवाल पूछ रहे है। आज पड़ोसी राष्ट्रों के साथ भारत का संबंध तरह से हो गया है कि कुछ दिन में यही भूटान जैसा देश भी भारत को आंख दिखने लगे, तो कोई कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी.
आलोक कुमार दूबे ने कहा कि भाजपा के नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद और दो पूर्व मुख्यमंत्रियों बाबूलाल मरांडी और रघुवर दास तथा केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को तो झारखंड की मौजूदा स्थिति पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार ही नहीं है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान प्रदेश भाजपा कार्यालय में साढ़े छह किलोग्राम का ताला लटका रहा, बाबूलाल मरांडी, रघुवर दास, दीपक प्रकाश, अर्जुन मुंडा समेत अन्य भाजपा नेता घर में बैठकर और मख्खन-रोटी खाकर पत्र-वीर कहलाने में जुटे रहे, लॉकडाउन में मुश्किल में फंसे जरूरतमंद और गरीबों की मदद के लिए घर से बाहर निकलने तक की जरूरत नहीं समझी,ऐसे नेताओं को शर्म आनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि वर्चुअल रैली का उद्देश्य सिर्फ आगामी विधानसभा चुनाव और झारखंड में होने वाले उपचुनाव को ध्यान में रखकर किया जा रहा है, इस संकट काल में वर्चुअल रैली हसुआ के ब्याह में खुरपी के गीत के कहावत को चरितार्थ करता है, जब पूरे देश में कोरोना संकट और चीन की धमक से चिंता व्यक्त की जा रही है, वैसे समय में इस तरह की राजनीतिक रैली का आयोजन फिजुलखर्जी के अलावा कुछ और नहीं है.