दिल्ली: कोरोना संकट अभी दूर हुआ नहीं कि धरती की तरफ एक और मुसीबत बढ़ रही है. धरती की तरफ एक बहुत बड़ा उल्कापिंड (Meteorite) आ रहा है जो कुछ ही घंटों में पहुंचने वाला है. इस उल्कापिंड की गति इतनी ज्यादा है कि अगर धरती पर गिरे तो कई किलोमीटर तक तबाही मचा सकता है और अगर समुद्र में गिरेगा तो बड़ी सुनामी पैदा कर सकता है.
इस उल्कापिंड की गति 13 किलोमीटर प्रति सेकेंड है यानी करीब 46,500 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार. यह उल्कापिंड दिल्ली के कुतुबमीनार से चार गुना और अमेरिका के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से तीन गुना बड़ा है. इस उल्कापिंड का नाम है 2010 एनवाई 65 है. यह उल्कापिंड 46,500 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से धरती की तरफ आ रहा है जो आज दोपहर 12.15 बजे पृथ्वी के करीब से गुजरेगा.
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) का अनुमान है कि यह धरती से करीब 37 लाख किलोमीटर दूर से निकलेगा, लेकिन अंतरिक्ष विज्ञान में इस दूरी को ज्यादा नहीं माना जाता. हालांकि, वैसे तो धरती को इस उल्कापिंड से कोई खतरा नहीं है, लेकिन नासा के वैज्ञानिक उन सभी उल्कापिंड को धरती के लिए खतरा मानते हैं जो धरती से 75 लाख किलोमीटर की दूरी के अंदर निकलते हैं. इन तेज रफ्तार से गुजरने वाले खगोलीय पिंडों को नीयर अर्थ ऑबजेक्टस (NEO) कहते हैं. कई बार इनसे धरती को नुकसान भी होता है.
बता दें कि जून में उल्कापिंड गुजरने की यह तीसरी घटना है. पहला उल्कापिंड 6 जून को धरती के बगल से गुजरा था. इसका व्यास 570 मीटर था. यह धरती के बगल से 40,140 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से गुजरा था और इसका नाम था 2002एनएन4. इसके बाद 8 जून के उल्कापिंड 2013एक्स22 उल्कापिंड धरती के करीब से गुजरा था जिसकी गति 24,050 किलोमीटर प्रतिघंटा थी. यह धरती से करीब 30 लाख किलोमीटर दूर से निकला था.