नीता शेखर,
“रिमझिम फुहारे बरस रही थी हल्क- हल्के हवा के झोंकों से मन मचल रहा था ऐसे समय में चाय और पकौड़ों का अपना ही मजा होता है.
पायल भी इस मौसम का आनंद ले रही थी इंतजार कर रही थी शिवम का, आज उसने मन बना लिया था चाय और पकौड़े खाने का. आज वह सोच चुकी थी शिवम चाहे कुछ भी कहे आज वह बना के ही रहेगी.
शिवम को यह सब चीजें बिलकुल पसंद नहीं थी वह अपने हेल्थ का बहुत ख्याल रखता था वह हमेशा जिम जाया करता था. पर पायल को यह सब बिल्कुल पसंद नहीं था उसको लगता जो जीवन मिला है उसका तो आनंद लो. कल किसने देखा है यही सब सोचते-सोचते उसे नींद आ गई थी.
उसे अचानक फोन की घंटी सुनाई दी उसने लगभग दौड़ कर फोन को उठाया तभी देखा फोन शिवम का था शिवम कह रहा था मैं ऑफिस के काम से मुंबई जा रहा हूं, दो दिन के लिए जा रहा हूं शनिवार को लौट आऊंगा, पायल का मन खराब हो गया. अक्सर शिवम का प्रोग्राम ऐसे ही बनता था उसकी गाड़ी में अक्सर उसकी अटैची तैयार रहती थी.
अब पायल का चाय पकौड़ी खाने का मजा धरा ही रह गया. शिवम और पायल ने दो साल पहले ही लव मैरिज की थी. पायल का मन पुरानी यादों में घिरने लगा था दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे. शिवम पायल से दो साल सीनियर था, एक दिन कॉलेज में वार्षिक महोत्सव चल रहा था पायल को उसमें गाना गाना था वह बहुत अच्छा गाती थी, शिवम उसके गाने पर ही फ़िदा हो गया था. वह तभी से पायल के पीछे लग गया. धीरे-धीरे पायल भी उसको पसंद करने लगी थी, फिर दोनों की दोस्ती गहराती चली गई.
कॉलेज से निकलने के बाद शिवम के पापा का खुद की कंपनी था उसमें ही उसने ज्वाइन कर लिया. पायल अभी घर पर ही थी उसने अभी सोचा नहीं था कि आगे क्या करना है. शिवम के मम्मी पापा लखनऊ में रहते थे. दिल्ली वाली फैक्ट्री उन्होंने शिवम को दे दी थी और खुद लखनऊ की फैक्ट्री देखते थे.
पायल दो बहने हीं थी एक उसे छोटी थी जो इस साल 12वीं की परीक्षा दे रही थी तभी पायल ने देखा उसके दरवाजे पर एक कार आकर रुकी, उसमें से दो बड़े लोग निकले साथ में शिवम भी था फिर वह सीधे उसके घर आ गए पायल ने उनके पांव छू लिए. उन्होंने पायल की मम्मी पापा के बारे में पूछा,पायल ने बताया वह बाहर निकले हैं दस मिनट में वापस आ जाएंगे. पायल ने चाय नाश्ते का इंतजाम किया और उनके पास आकर बैठ गई. शिवम पर गुस्सा भी आ रहा था उसने उसे कुछ बताया क्यों नहीं. अचानक से लेकर आ गया.
आंटी ने उसे बहुत सारे सवाल पूछा जिसका उसने अच्छे से जवाब दिया अभी वह लोग बातचीत कर ही रहे थे कि पायल की मम्मी पापा भी आ गए, पायल ने उनका परिचय अपने मम्मी पापा से कराया. उन्होंने उसके मम्मी पापा से कहा आपकी बिटिया बहुत समझदार है हम अपने बेटे के लिए उसका हाथ मांगने आए हैं,अगर आपको कोई एतराज ना हो तो. उन्हें भला क्या एतराज हो सकता था उन्होंने हां कर दी. फिर क्या था झट मंगनी पट शादी हो गई.
शादी के बाद शिवम के मम्मी पापा भी वापस लखनऊ जा रहे थे घर में केवल पायल और शिवम ही बच गए थे पायल ने बहुत ही अच्छे से अपने गिरस्ती संभाल ली थी. शिवम भी अपने ऑफिस में बिजी हो गया था देखते देखते दो साल गुजर गए दोनों बहुत खुश थे. कभी-कभी पायल उदास हो जाया करती थी. शिवम अपने काम में बिजी हो चला था यही सब सोचते सोचते उसको नींद आ गई. अचानक रात के लगभग 10:00 बजे जोर-जोर से घंटे बजने की आवाज आ रही थी पायल को डर भी लग रहा था कि इतनी रात को कौन आया. फिर भी उसने डरते डरते दरवाजा खोला तो सामने शिवम खड़ा था और साथ में पायल की मम्मी पापा सब को देख कर उसे बड़ा ही आश्चर्य लग रहा था.
तुमने तो बताया कि तुम मुंबई जा रहे हो शिवम धीरे से मुस्कुराया और बोला पापा का फोन आया था उन्होंने कहा हम दिल्ली आ रहे शिवम ने ही उनको आग्रह किया था नहीं बताने का, मैं तुम्हारे चेहरे पर खुशी देखना चाहता था इसलिए मैंने नहीं बताया. फिर उसने कहा मैंने दो दिन की छुट्टी ली है और हां ऑफिस का काम घर पर नहीं होगा.
आज पायल बहुत खुश थी वो शिवम जैसा पति पाकर अपने आपको धन्य समझ रही थी, उसने ही शिवम को थोड़ी देर के लिए गलत समझ लिया था. उसने अपने भगवान से माफी मांगी. आज वह फिर से खिल उठी और गुनगुनाने लगी.
” जन्म जन्म का साथ है तुम्हारा हमारा,हमारा तुम्हारा, अगर न मिलते इस जीवन में लेते जनम दुबारा
जनम जनम का साथ है तुम्हारा हमारा” अगर देखा जाए तो प्यार के कई रूप होते हैं कभी खट्टा, कभी मीठा, कभी तकरार कभी प्यार ही प्यार…
पर जो भी हो इस एहसास से बढ़कर दुनिया में कुछ नहीं…