रांची : कोरोना काल में उत्पन्न हालात के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का आह्वान किया है. इस आत्मनिर्भर भारत की राह को आसान बनाने में कृषि क्षेत्र की अहम भूमिका है. झारखंड के दो बड़े कृषि शोध संस्थानों के विशेषज्ञों की राय है कि कृषि क्षेत्र इसमें अपनी भूमिका निभा सकता है.
किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में पारंपरिक खेती किसानी को तकनीक के साथ जोड़ने के अलावा पशुपालन को बढ़ावा देकर प्रधानमंत्री के सपने को पूरा किया जा सकता है। रांची के प्लांडू स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ ए के सिंह को लगता है कि प्रवासी कामगारों को कृषि और कृषि आधारित उद्योग से जोड़कर रोजगार की परेशानी दूर की जा सकती है.
कृषि आधारित दर्जनों उद्योग किसानों के साथ साथ प्रवासी कामगारों की आमदनी बढ़ाने में सहायक हो सकता है. भारतीय प्राकृतिक रॉल एवं गोंद सस्थान रांची के निदेशक डॉ के के शर्मा कहते हैं कि झारखंड जैसे राज्यों में लाह की खेती से प्रवासी कामगारों को जोड़कर रोजगार का बेहतर विकल्प दिया जा सकता है.
इन दोनों संस्थानों के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने आत्मनिर्भर भारत के विभिन्न पहलुओं पर बात की.वैज्ञानिकों की राय है कि तकनीक और नये प्रयोगों के जरिए किसान आसानी से आत्मनिर्भर बन सकते हैं.
कोरोना संक्रमण काल में प्रवासी कामगारों को रोजगार मुहैया कराना एक बड़ी चुनौती है लेकिन सरकार आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत कर उस चुनौती से निपटने की तैयारी कर ली है और इसमें शोध संस्थान भी अहम भूमिका निभा रहे हैं.