नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख का दो दिनी दौरा करके लौटे सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को भरोसा दिलाया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात भारत की सेनाएंं चीन के किसी भी आक्रामक या दुस्साहस को रोकने में पूरी तरह सक्षम और तैयार हैं. फेसऑफ पॉइंट पर भारत और चीन के सैनिक महज 500 मीटर की दूरी पर आमने-सामने हैं.
सीमा पर चीनी सैनिकों की तैनाती के जवाब में भारत ने भी टैंक, पैदल सेना के वाहनों और करीब 10 हजार अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की है.
इसके अलावा भारतीय वायुसेना ने लड़ाकू विमान मल्टी रोल कम्बैक्ट, मिराज-2000, सुखोई-30 एस और जगुआर जैसे लड़ाकू विमान तैनात किए हैं, जो नियमित रूप से आसमान में गश्त कर रहे हैं.
एक तरह से कहा जाए तो भारत मजबूत सैन्य ताकत के साथ अग्रिम क्षेत्रों में अच्छी तरह से तैनात और तैयार हैं. इस सबके बावजूद पैंगॉन्ग झील, फिंगर-4 और गलवान घाटी के क्षेत्रों में तनाव के कारण आमने-सामने की लड़ाई को खारिज नहीं किया जा सकता है. तीनों ही जगह भारत-चीन की सेनाएं एक-दूसरे से ‘स्टैंड-ऑफ दूरियां’ बनाए हुए हैं.
सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर सेनाओं की तैनाती के बारे में शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व को जानकारी देते हुए कहा कि उन्हें इस बात का पूरा भरोसा है कि इस क्षेत्र में तैनात भारत की कुल युद्ध क्षमता अब चीन के किसी भी आक्रामक या प्रमुख दुस्साहस को रोक देगी.
नरवणे ने पूर्वी लद्दाख में अग्रिम चौकियों तक जमीनी स्थितियों और सेना की तैनाती देखने के बाद पीएम नरेन्द्र मोदी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को विवादित क्षेत्रों के बारे में विस्तार से जानकारी दी है.
गलवान घाटी क्षेत्र में पेट्रोलिंग पॉइंट-14 ‘खूनी जगह’ पर चीनी आर्मी अड़ी है और भारतीय सैनिकों को श्योक और गलवान नदियों के संगम को पार नहीं करने की चेतावनी दे रही है. इसी तरह पीएलए के सैनिक मई के शुरुआती दिनों से ही पैंगॉन्ग झील और इसके उत्तरी किनारे पर फिंगर-4 से फिंगर-8 तक कब्जा जमाए बैठे हैं.
मौजूदा तनाव से पहले चीन का फिंगर-8 में एक स्थायी कैम्प था लेकिन इस बीच फिंगर-4 पर चीनियों ने कब्जा जमा लिया है. इसे ऐसे समझना आसान होगा कि फिंगर-4 और फिंगर-8 के बीच आठ किमी. की दूरी है. इस तरह देखा जाए तो चीन ने आठ किलोमीटर आगे बढ़कर फिंगर-4 पर पैंगॉन्ग झील के किनारे आधार शिविर, पिलबॉक्स, बंकर और अन्य बुनियादी ढांंचों का निर्माण कर लिया है.
दरअसल, एलएसी फिंगर-8 से होकर गुजरती है. फिंगर-4 के आगे का क्षेत्र चट्टानी होने से सिर्फ पैदल ही आया-जाया जा सकता है. इसीलिए चीनी सैनिकों को फिंगर-4 तक आने में बड़ी मुश्किल होती थी, जबकि भारतीय गश्ती दल पहले फिंगर-8 तक जाता था लेकिन अब फिंगर-4 पर कब्जा जमाए बैठे चीनी सैनिक भारतीय गश्ती दल को इससे आगे नहीं जाने देते.
इस समय फिंगर-4 और फिंगर-3 के बीच भारत का मुख्य आधार शिविर है. फिंगर-4 के करीब एक प्रशासनिक आधार भी है जहां भारतीय सेना का जमावड़ा है.
फिंगर-4 तक चीनी सैनिकों की तैनाती के जवाब में भारत ने इसी क्षेत्र में खुद को तैनात किया है. यह क्षेत्र इतने करीब है कि भारत और चीन के सैनिक महज 500 मीटर की दूरी पर आमने-सामने हैं.