शशिभूषणदूबे कंचनीय
लखनऊ : रायबरेली जिले के ऊंचाहार कोरोना महामारी के चलते हुए लॉकडाउन में परदेश से घर वापस आये प्रवासी मजदूरों के हित के लिए सरकार ने भले ही मनरेगा जैसे कार्य शुरू करकर उनको राहत दी हो लेकिन इसकी ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. मनरेगा कार्य में कहीं नाबालिग से श्रम का मामला हो या मजदूर हाजिरी में गड़बड़ी हो या तो फिर चकरोड, तालाब खुदाई हो जो मानकों को ताक पर रखकर बनाई जा रही है.
ऊंचाहार कोतवाली क्षेत्र के ग्राम बहेरवामें सरकार की मंशा को पलीता लगाया जा रहा है. ग्राम सभा बहेरवा के कई गांवों में मनरेगा कार्य शुरू किया गया है जहां पर बाल श्रम देखने को मिला है. बताते चलें कि दिनेश कुमार निवासी मालिन का पुरवा, जो कक्षा सात का छात्र है, दूसरा विनीत कुमार गौतम बहेरवा निवासी जो कक्षा 11 का छात्र है तो वहीं सचिन कुमार धमधमा निवासी जो कक्षा दस का छात्र है. वहीं यदि सूत्रों की माने तो मनरेगा कार्य में मजदूर तो कम आते हैं लेकिन फर्जी हाजिरी चढ़वा कर उनका भुगतान करवा लिया जाता है. इनकी धांधली यहीं नहीं रुकते. सूत्रों ने बताया कि चकरोडों की चौड़ाई भी मानकों को दरकिनार करके बनाई जा रही है. तो चकरोडों पर पड़ने वाली मिट्टी की ऊंचाई भी मानकों के विपरीत डाली गई है. किन्तु उसका भुगतान पूरा कराया जाएगा. इस पूरे मामले पर मौके पर मौजूद हेड मुंशी सदाशिव से बात किया गया तो उन्होंने बताया कि बच्चों का आधार देखकर उनको काम पर रखा जाता है. जबकि नाबालिग बच्चों का के बयान से साबित होता है कि बच्चे वास्तव में नाबालिग है. अब इसपर कितनी कार्यवाही होती है ये आने वाला वक्त ही बताएगा.