नई दिल्ली: मंगलवार को लद्दाख में चल रहे सीमा तनाव के बीच भारत और चीन के शीर्ष सैन्य अधिकारी तीसरी बार मुलाकात करेंगे. सीमा विवाद का हल ढूंढ़ने और सैन्य तनाव को कम करने के लिए दोनों पक्षों के बीच बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ रहा है.
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख की गलवां घाटी में 15 जून को भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई थी, जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे. इस घटना के बाद से एशिया के दो सबसे बड़े देशों के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है.
सूत्रों ने बताया है कि 14 कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और दक्षिण जिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के प्रमुख मेजर जनरल लियू लिन के बीच मंगलवार सुबह करीब 10.30 बजे चुशुल-मोल्डो में ‘बॉर्डर पर्सनल मीटिंग’ (बीपीएम) बिंदु पर बैठक होगी. बैठक का आयोजन पहली बार चुशुल में किया जाएगा. बता दें कि, इससे पहले छह जून और 22 जून को हुई दो बैठकें मोल्डो में आयोजित की गई थीं
सूत्रों ने बताया कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा तनाव को कम करने के लिए बैठकों में बनाई गई योजनाओं पर अमल न करने से भारतीय पक्ष खासा नाराज है. पीएलए इन योजनाओं को जमीन पर उतारने में नाकाम रही है.
उन्होंने कहा कि मंगलवार को होने वाली बैठक में भारत का उद्देश्य अतिरिक्त आत्मविश्वास निर्माण उपायों के साथ तनाव को कम करने और विवाद को खत्म करने के लिए बनाई गई योजना को अंतिम रूप देने के तरीकों पर चर्चा करना होगा.
सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना ने पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर ‘फिंगर 4 से फिंगर 8’ के इलाके पर अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया है और चीनी सैनिक भारतीय गश्ती दल को लगातार रोक रहे हैं. साथ ही चीनी सैनिक गलवां घाटी में पेट्रोलिंग प्वाइंट-14 और डेपसांग क्षेत्र में भी भारतीय गश्ती दल को रोकने में लगे हुए हैं.
हिंसा वाली जगह पर चीनी सैनिकों को पीएलए ने अपना पूरा समर्थन दिया हुआ है. साथ ही उन्हें पीएलए की ‘4 मोटराइज्ड इन्फैंट्री डिवीजन’ और ‘6 मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री डिवीजन’ से टैंक और हथियार मुहैया कराए जा रहे हैं. इसके अलावा पश्चिमी थिएटर कमांड की रिजर्व बटालियन को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ तैनात किया गया है.