जिस झारखंड मुक्ति मुर्चा के सुप्रिमो शिबू सोरेन के नाम को लेकर नगर विकास मंत्री सी.पी.सिंह और झामुमो के सदस्यों के बीच नोकझोंक हो गयी थी और सदन को 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी थी. लेकिन बाद में धीरे-धीरे तल्खी कम हो गयी और भोजन अवकाश के बाद झारखंड विधानसभा में सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सदन में शोर शराबा फिर मचा. विपक्ष की ओर से स्टीफन मरांडी ने नगर विकास मंत्री सी.पी. सिंह पर सदन की मर्यादा के प्रतिकूल वक्तव्य पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि “उन्होंने बाप शब्द का प्रयोग किया है और गुरु जी के लिए यह अनुचित शब्द है.”
इस पर स्पीकर की ओर से कहा गया की प्रोसीडिंग में उस समय के तमाम पक्ष-विपक्ष के वक्तव्य को हटा दिया गया है उस पर चर्चा ना हो लेकिन स्टीफन थोड़े अड़े रहे हैं तब नगर विकास मंत्री को स्पीकर ने बोलने का मौका दिया तब नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि उन्होंने बाप शब्द का प्रयोग नहीं किया है और उन्होंने कहा की “प्रोसीडिंग निकाल कर देख लिया जाए, उन्होंने पिताजी शब्द का प्रयोग किया था.”
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सी.पी. सिंह ने कहा गुरुजी सर्वमान्य नेता झामुमो उन्हें कॉपीराइट नहीं समझे :
गुरुजी किसी के कॉपीराइट नहीं है, यह झारखंड के सर्वमान्य नेता है और सी.पी. सिंह समेत सारे लोग उनकी इज्जत करते हैं. झामुमो अपना उन्हें कॉपीराइट नहीं समझे, उनके लिए वह अमर्यादित शब्द बोल ही नहीं सकते हैं.
शोर शराबों में विधेयक पारित :
थोड़ा हंगामा भी मचता रहा शोर-शराबे और विपक्ष के नेताओं के हंगामे के बीच विधेयक पारित भी हो गए. आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए मंत्री प्रभारी कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग अमर कुमार बावरी द्वारा आरक्षण से संबंधित सं विधायक हुए पारित. शोधन विधेयक झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के लिए संशोधन विधेयक 2019 सदन में रखा गया जो पारित हो गया.
इसके बाद उच्च तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग प्रभारी मंत्री डॉ नीरा यादव द्वारा झारखंड राज्य विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2019 सदन के पटल पर रख कर पुन: स्थापित करने की मांग रखी गई. इसके अलावा चार और विधेयक स्वीकृत किए गए. बाबा बैद्यनाथधाम संस्कृत विश्वविद्यालय को लेकर तैयार संशोधन विधेयक प्रभारी मंत्री राज पलिवार ने कारखाना झारखंड
संशोधन विधेयक 2019 सदन के पटल पर लाया, जो कि स्वीकृत हुआ और विपक्षी धीरे-धीरे शांत पड़ गए.
शुक्रवार को भी हंगामे के आसार हैं और सदन का आखिरी सत्र मॉनसून सत्र है. इसके बाद सरकार पक्ष विपक्ष के लोग विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लग जाएंगे. फिलहाल सुर्खी बटोरने का सदन में चर्चा में भाग लेने के लिए 1 दिन का मौका है, जिसे विपक्ष मुद्दों के साथ परिसर में प्रदर्शन भी करेगा और सदन के भीतर भी हंगामा बरप सकता है.