जगदम्बा प्रसाद शुक्ल,
प्रयागराज: प्रयागराज में घूरपुर थाने के पिपिरसा गांव में मंगलवार शाम एक दर्दनाक हादसे में 12 फुट गड्ढे में बने तालाब में डूब कर दो सगे भाइयों की मौत हो गई. घटना से गांव में कोहराम मच गया. ग्रामीणों ने करीब डेढ़ घन्टे की मशक्कत के बाद दोनों बच्चों को पानी से बाहर निकाला. और डॉक्टर के पास ले जाया गया जहां डॉक्टर ने दोनों को मृत घोषित कर दिया. घूरपुर के पिपिरसा गांव निवासी अमरनाथ यादव खेती किसानी के साथ दूध का धंधा करते हैं.
उनके तीन बेटों में विपिन 12 वर्ष व निखिल 10 वर्ष छोटे थे बड़ा सचिन 15 साल का है. तीनों बच्चे बरामार स्थित स्कूल में पढ़ते थे.
गांव के बाहर एक ईंट-भट्ठे के समीप अमरनाथ ने धान की नर्सरी डाल रखी है. मंगलवार को अमरनाथ, उनकी पत्नी आशा यादव बड़ा बेटा सचिन व अन्य लोग धान की रोपाई कर रहे थे विपिन व निखिल को अमरनाथ ने धान की नर्सरी की रखवाली के लिए कहा था क्योंकि नील गाय का उपद्रव बहुत होता है. विपिन निखिल और उनके पड़ोस का नौ साल का बच्चा यश पुत्र दिनेश यादव वहीं धान की नर्सरी के समीप खेल रहे थे. पास में ही ईंट-भट्ठे के बगल में मिट्टी की खोदाई की वजह से हुए करीब एक बीघे के लंबे चौड़े और 12 फीट गड्ढे नुमा तालाब के पास पहुंच गए वहीं खेल-खेल में निखिल का पैर फिसल गया और वह गड्ढे में गिर गया.
उसे गिरा देख बड़ा भाई विपिन बचाने के लिए पानी में कूद गया. एक दूसरे को बचाने के चक्कर में जब वह दोनों डूबने लगे तो यश रोने लगा. जब दोनों पानी में डूब गए तो वह भागते हुए घर की तरफ गया रास्ते में जो मिला सभी से उसने घटना बताई. कुछ ही देर में वहां ग्रामीणों की भीड़ लग गई. अमरनाथ व आशा भी परिवार संग वहां पहुंच गए. गहराई अधिक होने की वजह से दोनों बच्चों को ढूूंढने में दिक्कत आ रही थी जिससे तालाब में जाल व कटिया डाली गई. करीब डेढ़ घन्टे बाद दोनों को बाहर निकाला गया और अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया.
सूचना पर एस ओ अनुराग शर्मा भी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गये. सीओ करछना आशुुतोष तिवारी ने बताया कि बच्चे खेल-खेल में गड्ढे में गिर कर डूब गए. पुलिस मौके पर पहुंचकर कार्रवाई कर रही है. ईंट उद्योग की मंडी कहे जाने वाले घूरपुर इलाके में इस तरह के मौत के गड्ढे कदम-कदम पर हैं. हैरानी की बात है कि मौत रूपी इन गड्ढों पर हादसे के बाद भले ही कुछ दिन के लिए पुलिस प्रशासन कुछ सक्रियता दिखा दे तो अलग बात है, नहीं इस तरफ कोई झांकने तक नहीं जाता जिसका नतीजा ये है कि भट्ठा मालिक अपनी सुविधानुसार खेतों की मिट्टी 12-12 फीट तक निकलवा ले रहे हैं बाकी दिनों में तो कम लेकिन बारिश के दिनों में ये गड्ढे बच्चे ही नहीं बड़ों और खासकर पालतू जानवरों के लिए काल से कम नहीं हैं.