रांची: झारखंड में लाह की खेती बड़े पैमाने पर होती है. रांची की सैकड़ों महिलाएं लाख की चूड़ियां, विभिन्न श्रृंगार सामग्री और सजावटी सामान बनाने के काम से जुड़कर सम्मान के साथ अच्छे पैसे भी कमा रही हैं.
रांची की बेबी कुमारी ने करीब पांच साल पहले अपने घर पर ही छोटे स्तर पर लाह की चूड़ियां बनाने का काम शुरू किया था. इनकी मेहनत रंग लाई और धीरे-धीरे इन्होंने अपने जैसी दूसरी महिलाओं को इसमें जोड़ना शुरू किया. आज इस काम से जुड़कर करीब सैकड़ों महिलाएं रोजगार पा रही हैं.
बेबी बताती हैं कि झारखंडी लाह पर जब उनकी मेहनत निखर कर बाहर आती है, तब देखने वालों की नजर उसपर ठहर जाती है. उनका सामान हाथों-हाथ बिक जाता है. वे कहती हैं कि सरकार ने भी उनके उत्पादों की बिक्री के लिए कई प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराए हैं, जिससे बाजार की समस्या नहीं होती.
शादी-ब्याह के खास मौके पर लोग अपनी पसंद के अनुसार चीजें इनसे तैयार कराते हैं. यहां काम करनेवाली महिलाएं कहती हैं कि यह ऐसा काम है जिसमे उनका मन भी लगा रहता है और बैठे- बिठाये अच्छी आमदनी हो जाती है.
झारखंड अकूत खनिज-संपदा के साथ-साथ लाह की खेती के लिए भी जाना जाता है. सिमडेगा और खूंटी जैसे जिलों में बहुतायत से लाह की खेती होती है. यहां उपजने वाला लाह पहले जयपुर जैसे बड़े शहरों और विदेशों में निर्यात कर दिए जाते थे. लेकिन अब, इन महिला समूहों द्वारा लाह से जुड़े कारोबार शुरू किए जाने से अधिकांश लाह यहीं खप जाता है, जिससे यह रोजगार देने वाला बड़ा क्षेत्र बनकर भी उभरा है.