रांची : रांची की महापौर आशा लकड़ा ने कहा कि झारखण्ड नगरपालिका अधिनियम के प्रवाधानों के तहत नगर निकायों को दिए गए अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप कर नगर विकास विभाग हमें आर्थिक रूप से कमजोर करने की साजिश कर रहा है. हाल ही में राज्य शहरी विकास अभिकरण (सूडा) के माध्यम से रांची व धनबाद नगर निगम क्षेत्र में राजस्व वसूली के लिए सूडा ने टेंडर निकला था. जब यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो आनन-फानन में विभागीय अधिकारियों ने टेंडर रद्द कर दिया. अधिकारियों ने निविदा से संबंधित नियमों में जटिलता का हवाला देते हुए टेंडर रद्द कर दिया. जबकि टेंडर पक्रिया में कुल सात एजेंसियों ने भाग लिया था. अब विभागीय अधिकारी टेंडर से संबंधित शर्तों को सरल करते हुए नई एजेंसियों को भी शामिल करने का प्रस्ताव तैयार कर चुके हैं.
उन्होंने कहा कि रांची नगर निगम क्षेत्र में राजस्व वसूली कर रही एजेंसी का काम संतोषजनक है. ऐसे में नई एजेंसी के माध्यम से राजस्व वसूली का काम कराना उचित नहीं है. संबंधित एजेंसी के माध्यम से साॅफ्टवेयर भी तैयार किया गया है. प्रतिवर्ष राजस्व वसूली का ग्राफ भी बढ़ रहा है. परंतु सूडा के माध्यम से विभागीय अधिकारी रांची व धनबाद नगर निगम के लिए एकीकृत व्यवस्था के तहत राजस्व वसूली की क्या तैयारी कर रहे हैं, यह समझ से परे हैं. विभागीय अधिकारियों को पहले यह स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी मंशा क्या है. यदि नई एजेंसी के माध्यम से राजस्व वसूली में अप्रत्याशित वृध्द्रि हो सकती है, तो सबसे पहले विभागीय अधिकारियों को इस संबंध में तैयार की गई विस्तृत कार्य योजना की जानकारी नगर निगमों को देनी चाहिए, ताकि जनप्रतिनिधि भी इस नई व्यवस्था के लिए मानसिक रूप से तैयार हो सके. परंतु विभागीय अधिकारियों के माध्यम से सीधे तौर पर राजस्व वसूली की एकीकृत व्यवस्था को कायम करने के पीछे उनकी मंशा स्पष्ट नहीं है.
महापौर ने कहा कि टेंडर प्रक्रिया के सरल शर्तों को देखने के बाद ऐसा प्रतीत हो रहा है कि येन-केन प्रकारेण किसी खास एजेंसी को रांची व धनबाद, रांची नगर निगम के राजस्व वसूली का ठेका देने की तैयारी की जा रही है. समाचार पत्रों में भी इस संबंध में खबर प्रकाशित की जा चुकी है. सत्ता में शामिल एक राजनैतिक पार्टी के महिला के पुत्र को राजस्व वसूली का काम देने के लिए टेंडर प्रक्रिया की शर्तों को सरल किया गया हैं. राज्य सरकार सत्ता की बागडोर संभालते ही भष्टाचार के खिलाफ लगातार काईवाई कर रही है. परंतु अब, सत्ता में बैठे लोग ही भष्टाचार की नींव तैयार करने में जुटे हुए हैं.
अब राजस्व वसूली के लिए सूडा के माध्यम से निकाले गए टेंडर में निम्न स्तर की एजेंसी को काम देने के लिए इस बार यूएलबी/डिवीजन/डिस्ट्रिक्ट/ब्लॉक या समतुल्य स्तर पर हाउसहोल्ड या उपभोक्ताओं से कर वसूली का काम करने वाली एजेंसी को भी शामिल किया गया है. टेंडर प्रक्रिया की इस शर्त में 200 अंक भी निर्धारित किए गए हैं. इसके अलावा टेंडर के इस शर्त में यूएलबी के अलावा अन्य एजेंसी के चयन में टेंडर कमेटी ही अंतिम निर्णय लेगा. जबकि इससे पूर्व राजस्व वसूली के लिए सूडा के माध्यम से निकाले गए टेंडर में ये शर्त शामिल नहीं किया गया था. टेंडर प्रक्रिया की शर्तों को सरल करने के लिहाज से सूडा के अधिकारियों की मंशा स्पष्ट परिलक्षित हो रही है. अधिकारी टेंडर प्रक्रिया की शर्तों में खेल कर किसी खास एजेंसी को उपकृत करना चाह रहे हैं.