नई दिल्ली: मंदिर की संपत्ति पर भी कोर्ट फैसला देगा. मंदिर के पास करीब दो लाख करोड़ रुपए की संपत्ति है. साथ ही इस बात का फैसला भी करेगा कि क्या यह मंदिर सार्वजनिक संपत्ति है और इसके लिए तिरुपति तिरुमला, गुरुवयूर और सबरीमला मंदिरों की तरह ही देवस्थानम बोर्ड की स्थापना की जरूरत है या नहीं? अदालत इस बात पर भी फैसला दे सकती है कि मंदिर के सातवें तहखाने को खोला जाए या नहीं?
केरल हाईकोर्ट ने 2011 के फैसले में राज्य सरकार को पद्मनाभस्वामी मंदिर की तमाम संपत्तियों और मैनेजमेंट पर नियंत्रण लेने का आदेश दिया था.
इस आदेश को पूर्व त्रावणकोर शाही परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट में 8 साल से ज्यादा समय तक सुनवाई हुई. जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच ने पिछले साल अप्रैल में इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था.
कोर्ट के निर्देश पर मंदिर के सातवें तहखाने को नहीं खोला गया था. मान्यता है कि तहखाने के दरवाजे को सिर्फ कुछ मंत्रों के उच्चारण से ही खोला जा सकता है. इस पर दो सांपों की आकृति बनी है. ये सांप दरवाजे की रक्षा करते हैं.
कहा जाता है कि इस दरवाजे को ‘नाग बंधम’ या ‘नाग पाशम’ मंत्रों से बंद किया है. इसे केवल ‘गरुड़ मंत्र’ का स्पष्ट और सटीक मंत्रोच्चार करके ही खोला जा सकता है. अगर इसमें कोई गलती हो गई तो मौत तय मानी जाती है. फिलहाल सातवें तहखाने की गुत्थी अनसुलझी ही है.