रांची: वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण को लेकर लागू देशव्यापी पूर्ण तालाबंदी के बीच जब उद्योग धंधे और औद्योगिक गतिविधियां प्रभावित हुई है, वहीं इस दौरान खेती के प्रति लोगों का रूझान बढ़ा है. युवाओं के साथ ही महिलाएं भी खेती के क्षेत्र में बढ़चढ़ कर आगे आयीं हैं.
वहीं झारखंड में कृषि को नया आयाम देने में आजीविका कृषक मित्र का योगदान भी प्रशंसनीय रहा है. रांची की आजीविका कृषक मित्र मुन्नी देवी ने महिलाओं को मुफ्त में जैविक कृषि के गुर सिखा कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में महती भूमिका अदा की है. खेती-किसानी के साथ ही महिलाओं का रुझान मुर्गी, बत्तख और बकरी पालन की ओर बढ़ा है.
झारखंड में अभी हाल तक खेती-किसानी के काम में पुरुषों का एकाधिकार समझा जाता था लेकिन अब हालात बदल चुकें हैं. राज्य आजीविका मिशन से प्रशिक्षण प्राप्त आजीविका कृषक मित्र मुन्नी देवी ने बताया कि वे महिलाओं को जैविक खेती समेत कृषि की उन्नत तकनीकों से रूबरू करातीं हैं ताकि उन्हें मेहनत का सही फल मिल सके.
मुन्नी देवी ने कहा कि कृषि से होने वाली आमदनी से महिलाएं अब स्वावलंबी हो रहीं हैं. जिससे समाज में बड़ा बदलाव दिख रहा है. घर का चूल्हा चौका संभालने के साथ साथ महिलाएं कृषि कार्यों के ज़रिए आर्थिक रूप से सशक्त बन रहीं हैं.
आजीविका कृषक मित्र मुन्नी देवी की मेहनत और उनसे प्रेरणा लेकर रांची की कई महिलाओं ने किसानी के काम में हाथ अजमाया है जिसमें उन्हें आशा अनुरूप सफलता मिल रही है. खुद मुन्नी देवी की गोतनी सावित्री देवी भी कृषि कार्यों से जुट चुकीं हैं और उन्हें भी इसमें काफी फायदा हो रहा है इतना ही नहीं वे इसके साथ ही बत्तख पालन भी कर रहीं हैं .
खेती किसानी के काम में आधी आबादी का बढ़ता योगदान बदलते भारत की तस्वीर पेश करता है जहां होम मेकर समझी जानी वाली सामान्य गृहणियों भी कृषि और मुर्गी, बत्तख और बकरी पालन को सफलता पूर्वक अंजाम देकर अपना लोहा मनवा रहीं हैं आजीविका कृषक मित्र मुन्नी देवी तो इसमें एक कदम आगे बढ़कर अन्य महिलाओं को किसानी के गुर सिखाकर पथ प्रदर्शक और कृषि की मास्टर ट्रेनर तक बन चुकीं हैं.