रांची : विश्व हिंदू परिषद प्रांत कार्यालय सभागार में बुधवार को लातेहार में हो रहे भुंईया जाति के बीच धर्मांतरण की गतिविधियों का विरोध किया गया. विश्व हिंदू परिषद के धर्म प्रसार परियोजना प्रांत प्रमुख धनेश्वर मुंडा ने कहा झारखंड में धर्मांतरण निषेध कानून 2007 में बनाने के बाद भी प्रशासनिक अधिकारियों के लापरवाही के कारण झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों में जनजातीय समाज के लोगों का धर्मांतरण गतिविधि तेजी से चल रही है. लातेहार जिला के भूसूर पंचायत के कुलगरा गांव के रहने वाला मुखिया पति अर्सेन तिर्की द्वारा 5 परिवार के 23 युवा सदस्यों को बहला-फुसलाकर एवं प्रलोभन देते हुए ईसाई धर्म में धर्मान्तरित किया गया, जो असंबैधानिक है. उन्होंने बताया प्रशासन को सूचना देने के बाद भी प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के कारण ही कानून की धज्जियां उड़ाया जा रहा है तथा क्षेत्र में धर्मान्तरण जैसा घृणित कार्य को अंजाम दिया जा रहा है. उन्होंने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा है कि धर्मान्तरित लोगों को जब तक घर वापसी नहीं करा लेता है तब तक विश्व हिंदू परिषद इसका विरोध करते रहेंगा.
उन्होंने कहा कि 7 जुलाई को लातेहार दंडाधिकारी के द्वारा धर्मांतरण विषय को छोड़कर बाप- बेटे के आपसी विवाद का विषय बनाते हुए 107 का मुकदमा दायर किया गया जो बिल्कुल तथ्यहीन है.
विश्व हिंदू परिषद जिला प्रशासन एवं झारखण्ड सरकार मांग करती है कि मुखिया पति तथा उनके गिरोह पर अभिलंब कार्रवाई करते हुए गिरफ्तार करें.
धनेश्वर मुंडा ने सरकार से यह भी कहा कि झारखंड में पेसा कानून के तहत ऐसे जनजाति जो धर्मान्तरित हो चुके हैं जिनका सनातन परंपरा से जुड़े कोई सरोकार नहीं है ऐसे लोग जनजाति में नहीं आ सकते हैं. इस तरह असीम तिर्की की पत्नी ईसाई है, फिर आदिवासी कोटे से मुखिया कैसे बनी है? यह भी असंवैधानिक है, उन्हें जनजाति अर्थात आदिवासी का अधिकार छीनने का कोई हक नहीं है। विश्व हिंदू परिषद मांग करती है कि ऐसे सभी धर्मान्तरित ईसाइयों को जनजातीय आरक्षण सुविधा एवं अन्य सरकारी सुविधाओं को देना बंद किया जाए तथा भूसूर पंचायत के आदिवासी कोटे से बने ईसाई मुखिया को मुखिया पद से अभिलंब मुक्त किया जाए.
इस अवसर पर विश्व हिंदू परिषद के प्रांत उपाध्याय देवी प्रसाद शुक्ला, प्रांत सत्संग प्रमुख गणेश शंकर विद्यार्थी, कन्हैया लाल, रांची विभाग प्रचार प्रसार प्रमुख अमर प्रसाद उपस्थित थे.