रवि सिंह,
यूपी: पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से सस्ता सामान खरीदने के लिए नेपाल से भारत के सोनौली बाजार में आते थे लोग, कई दुकानों का किराया है एक लाख रुपए.
जो सामान भारत में 400 रुपए में मिल जाती है, वो नेपाल में 800 रुपए में मिलती है. यही वजह रही है कि नेपाली ग्राहक भारत आकर जमकर खरीदारी करते रहे हैं.
सोनौली के व्यापारी चार माह पहले की ताजा करते हुए कहते हैं, हम लोगों का सामान खूब बिकता था.
कॉस्मेटिक व्यवसायी कहते है कि सुबह सात बजे शाम सात बजे तक नेपाली लड़कियों से दुकाने भरी रहती थी, क्योंकि नेपाली लोगों को सजने-संवरने का बहुत शौक है, वो महंगी से महंगी चीजें खरीद कर ले जाते थे.
उत्तर प्रदेश का भारत नेपाल सीमा पर स्थित कस्बा सोनौली यहां का पूरा मार्केट एक सड़क के दोनों पटरी समेत गली कूचो में दुकाने है. लेकिन दुकानों का किराया 15 हजार रुपए महीना से लेकर मेन सड़क पर एक 75 हजार रुपये महीना तक किराया है. वजह यहां से प्रतिदिन लाखो लारव रूपये की खरीददारी हुआ करती थी. जिसमें ज्यादातर खरीददार नेपाली होते थे.
सुबह से लेकर देर रात तक बाजार गुलजार होता था. इतनी भीड़ होती थी कि पैर रखने की जगह न मिले और अब हालात ऐसे हैं कि ग्राहकों को देखने के लिए व्यापारियों की आंखें तरस गई हैं.
बर्तन के व्यवसायी रवि कहते है कि बर्तन खरीदने भी नेपाली भारत आते हैं, क्योंकि नेपाल में न इतनी वैरायटी मिलती हैं न कम दाम. नेपाल में राशन-कपड़ा इलेक्ट्रॉनिक सामान से लेकर बर्तन तक भारत के मुकाबले काफी महंगे मिलते हैं.
वहां की सरकार मोटी कस्टम ड्यूटी वसूलती है. ज्यादातर सामान दूसरे देशों से लाया जाता है. इसलिए जो चीज भारत में 400 रुपए में मिल जाती है, वो नेपाल में 800 रुपए में मिलती है. यही वजह रही है कि नेपाली ग्राहक भारत आकर जमकर खरीदी करते रहे हैं.
दोनों देशों में लगभग लॉकडाउन खोल दिया है लेकिन बॉर्डर बंद है. इस कारण सोनौली का बाजार पूरी तरह से अभी भी सूना है. सोनौली का पूरा बाजार नेपालियों पर आधारित है.
कपड़ा व्यवसायी व्यापारी रूपेश अग्रवाल सूरत पैलेस के स्वामी कहते हैं, ‘हम 2006 से सोनौली में दुकान चला रहे हैं. यहां 80 से 90 प्रतिशत नेपाली ग्राहक थे.
जब से लॉकडाउन लगा है और बॉर्डर सील है तो कोई भी ग्राहक भारतीय सीमा के सोनौली बार्डर नहीं आ पा रहा है. इस समय पूरी दुकानदारी चौपट हो गई. अब तो ऐसे हालात हैं कि दिन में एक, दो ग्राहक आ जाएं तो बहुत बड़ी बात है.’
पहले सुबह 7 से दोपहर 2 बजे के बीच अच्छी दुकानदारी हो जाती थी.
सोनौली उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष बबलू सिंह के मुताबिक सोनौली में कपड़े की करीब 100से अधिक दुकानें हैं और हालात ऐसे हैं किकुछ दुकानों में तो बोदती भी नहीं हो पा रही है.
बताते हैं बाजार में मेन रोड पर बनी दुकानों का किराया 25 हजार रुपए महीना से लेकर एक लाख तक है . लेकिन अब तो हालात ऐसे बन रहे हैं कि किराया देना ही मुश्किल हो गया है. लोग स्टाफ भी कम करते जा रहे हैं.
बर्तन कारोबारी रवि का मानना है कि कोरोना वायरस का डर खत्म होने के बाद नेपाली ग्राहक फिर वापस लौटेंगे. क्योंकि उनके पास भी कोई विकल्प नहीं है. नेपाल में सामान इतना महंगा है कि वो वहां से ज्यादा दिनों तक खरीदारी नहीं कर सकते. कुछ किरायेदारों ने कहा कि तीन माह से तो किराया देना भी मुश्किल हो गया है.
सोनौली के बड़े कारोबारी संजीव जायसवाल, प्रताप मद्धेशिया, सरदार विक्की सिंह कहते हैं, ‘नेपाल और भारत का रोटी-बेटी का संबंध है. यानी एक-दूसरे के यहां बेटी ब्याही जाती हैं और लोग कामधंधा करने आते-जाते हैं. न उनके बिना हमारा चलेगा और न हमारे बिना उनका चलेगा, क्योंकि वर्षों का रिश्ता-नाता है.
पूरा बाजार अनलॉक होने के बाद भी वीरान है. बॉर्डर जल्दी नहीं खुली तो आने वाले समय में स्थिति बहुत भयावह हो जाएगी. कई दुकानदार कामधंधा बंद करने के लिए मजबूर हो गए हैं.
लेकिन बीते चार महीने से जो हालात बने हैं, उसने सब कुछ तबाह कर दिया. किसी भी तरह बस मार्केट पहले की तरह खुल जाए हम यही ईश्वर से प्रार्थना करते हैं.