रांची: झारखंड में अब तक एक भी डिस्टेंट एजुकेशन की यूनिवर्सिटी की स्थापना नहीं हो सकी है, यदि डिस्टेंट यूनिवर्सिटी रहती, तो उच्च शिक्षा हासिल कर रहे छात्र-छात्राओं को लॉकडाउन में बड़ी सुविधा मिलती.
ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन की रिपोर्ट के अंतर्ग राज्य में अब तक एक भी डुएल मोड (डिस्टेंट एजुकेशन) वाले विश्वविद्यालय की स्थापना नहीं हुई है, जबकि बिहार, पंजाब, ओड़िशा और उत्तरखंड में तीन-तीन, पश्चिम बंगाल व तेलंगाना में सात-सात, दिल्ली, असम, केरल और राजस्थान में पांच-पांच तथा कई अन्य राज्यों में यह यूनिवर्सिटी संचालित है.
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा उपलब्ध करायी गयी जानकारी के अनुसार डुएल मोड की यूनिवर्सिटी स्थापना के लिए सरकार द्वारा सभी विश्वविद्यालयों को 25 लाख रुपये अग्रिम राशि दिये जाने के बावजूद अब तक राज्य के किसी भी विश्वविद्यालयों में डिस्टेंस एजुकेशन की स्थापना नहीं की जा सकी, जिसके कारण राज्य के लोगों को संबंधित एजुकेशन का लाभ लेने के लिए अन्य राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है तथा इससे राज्य सरकार को राजस्व की भी क्षति होती थी.
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा दूरस्त शिक्षा मद में पांच विश्वविद्यालयों को राशि उपलब्ध करायी गयी है, लेकिन यूजीसी के नियमों के आलोक में उन्हीं विश्वविद्यलयों को दूरस्थ शिक्षा आरंभ करने की अनुमति दी जाती है, जिसे नॉक-ए ग्रेड प्राप्त हुआ है, चूंकि झारखंड में किसी भी विश्वविद्यालय को एक ग्रेड प्राप्त नहीं हुआ है, इसलिए दूरस्थ शिक्षा प्रारंभ नहीं की जा सकती है.
उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग की ओर से यह भी जानकारी दी गयी है कि राज्य के ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों तक उच्च शिक्षा के पहुंच को विस्तारित करने के लिए कम लागत पर सामाजिक एवं आर्थिक रूप से कमजोर छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए राज्य में खुला विश्वविद्यालय स्थापित करने की योजना है और चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में इसे मूर्त्त रूप दिया जाएगा.