नई दिल्ली: भारत के सेब उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन का गंभीर असर पड़ेगा. एक अध्ययन में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन भीषण सर्दी के मौसम को प्रभावित करेगा, जो कि सेब के पौधों के लिए आवश्यक होती है. अध्ययन में कहा गया है कि इस स्थिति से निपटने में भू-अभियांत्रिकी तरीके भी खास काम नहीं आएंगे.
यह अध्ययन अमेरिका के नेशनल साइंस फाउंडेशन ने किया है. इसमें भारत के हिमाचल प्रदेश में सेब उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन के असर का आकलन किया गया है. इसके अनुसार इस स्थिति से निपटने के लिए इस्तेमाल होने वाली सल्फर डाईऑक्साइड छिड़कने जैसी विधियां स्थायी लाभ नहीं पहुंचा पाएंगी.
बता दें कि हिमाचल प्रदेश भारत का दूसरा सबसे बड़ा सेब उत्पादन करने वाला राज्य है. अध्ययन में कहा गया है कि वातावरण में सल्फर डाई ऑक्साइड का छिड़काव अस्थायी रूप से ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए और हिमाचल प्रदेश में सेब उत्पादन को आंशिक लाभ पहुंचाने के लिए किया जाता है.
फाउंडेशन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, अध्ययन में पाया गया कि जलवायु परिवर्तन पौधों के लिए आवश्यक भीषण सर्दी के मौसम को प्रभावित कर सेब उत्पादन को कम करेगा. भू-अभियांत्रिकी विधियों के सीमित लाभ होंगे, लेकिन यदि ऐसी विधियों को अचानक रोक दिया गया तो विपरीत परिणाम दिखेंगे.